दिल्ली-NCR के नोएडा में एक चीनी महिला को 10 करोड़ रुपये की GST चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। महिला अपने साथी के साथ मिलकर टीवी स्क्रीन बनाने की कंपनी चला रही थी। जीएसटी विभाग की जांच में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने TAX की गलत कैटेगरी दिखाकर करोड़ों रुपये का राजस्व बचाया। विभाग की पड़ताल में यह भी सामने आया कि कंपनी ने व्यवस्थित तरीके से लंबे समय से टैक्स चोरी की योजना बना रखी थी। गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के मामले में गिरफ्तार चीनी महिला को मेरठ स्थित GST कोर्ट में पेश किया गया, जहां से आगे की कानूनी कार्यवाही शुरू की गई है। अधिकारियों का कहना है कि मामले में महिला के भारतीय साथी की भूमिका भी जांच के दायरे में है। अधिकारियों ने बताया कि टैक्स चोरी से जुड़े ऐसे मामलों में अब सख्त कार्रवाई की जाएगी और विदेशी नागरिकों की भूमिका की भी गहन पड़ताल की जा रही है।

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GST चोरी में 2 लोगों की हुई गिरफ्तारी

गिरफ्तार आरोपियों में पहला नाम विनय कुमार का है, जिसे टैक्स चोरी का मुख्य साजिशकर्ता बताया जा रहा है। विनय अपने नेटवर्क के जरिए कंपनी के टैक्स को गलत कैटेगरी में दिखाकर करोड़ों रुपये की चोरी कर रहा था। वहीं दूसरी आरोपी चीनी नागरिक एलिस ली है, जो विनय के साथ मिलकर नोएडा में टीवी स्क्रीन बनाने की कंपनी चला रही थी। दोनों ने मिलकर लंबे समय तक करोड़ों रुपये के टैक्स की हेराफेरी की। अधिकारियों की जांच में खुलासा हुआ कि कंपनी ने जानबूझकर टैक्स की गलत श्रेणी में जीएसटी दाखिल किया, जिससे सरकार को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ।

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ऐसे कर रहे थे 10 % GST की चोरी

जीएसटी गौतमबुद्ध नगर के एक अधिकारी ने बताया कि आरोपियों ने टैक्स चोरी के लिए दो तरीकों का इस्तेमाल किया—

अंडर-इनवॉयसिंग (कम मूल्य का बिल बनाना)

मिस-क्लासिफिकेशन (गलत श्रेणी में टैक्स दाखिल करना)

अधिकारी ने बताया कि ये लोग वीडियो डिस्प्ले यूनिट का निर्माण करते थे। इस उत्पाद पर नियम के अनुसार 28% जीएसटी लागू है, लेकिन आरोपियों ने इसे गलत श्रेणी में दिखाकर केवल 18% जीएसटी का भुगतान किया। इस तरह वे प्रत्येक उत्पाद पर लगभग 10% टैक्स चोरी कर रहे थे। जांच अधिकारियों के अनुसार, आरोपियों ने लंबे समय से इस तरीके से टैक्स बचाकर करोड़ों रुपये का नुकसान सरकार को पहुंचाया है। अब विभाग इस नेटवर्क की गहन जांच कर रहा है।

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इस तरीके से भी लगा रहे थे सरकार को चूना

जीएसटी गौतमबुद्ध नगर के अधिकारियों के अनुसार, आरोपियों ने टैक्स चोरी के लिए दो बड़े तरीकों का इस्तेमाल किया: मिस-क्लासिफिकेशन (गलत श्रेणी में टैक्स दाखिल करना) आरोपी वीडियो डिस्प्ले यूनिट बनाते थे। इस उत्पाद पर नियम के अनुसार 28% जीएसटी लागू है, लेकिन इन्होंने इसे गलत कैटेगरी में दिखाकर केवल 18% जीएसटी का भुगतान किया।इस तरह प्रत्येक यूनिट पर 10% टैक्स चोरी की गई। अंडर-इनवॉयसिंग (कम कीमत का बिल बनाना) अधिकारियों को जानकारी मिली कि आरोपी असली कीमत से कम का इनवॉयस जारी करते थे। उदाहरण के लिए, यदि किसी आइटम की कीमत 1 लाख रुपये है, तो कागजों में 70 हजार रुपये का बिल बनाया जाता था। कागजों के हिसाब से जीएसटी भी कम देना पड़ता था, जबकि वास्तविक कीमत पर ग्राहक से पूरे पैसे वसूले जाते थे। इस अंतर की रकम आरोपी कैश में वसूलते थे, जिससे सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान हुआ। जांच अधिकारियों ने बताया कि इस तरह की टैक्स चोरी से सरकार को लगभग 10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। विभाग अब इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की भी जांच कर रहा है।

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