रायपुर. किसान परंपरागत फसलों की खेती के साथ ही फलों और सब्जियों की खेती करें तो उनकी आय बढ़ सकती है. फलों और सब्जी की खेती करके किसानों के लिए अच्छा पैसा कमाने का मौका है. क्योंकि अब आम, पपीता, केला, गन्ना की तरह अमरूद की भी खेती होगी. छत्तीसगढ़ के तीन भौगोलिक कृषि क्षेत्र हैं, जहां पर किसान अमरूद की बागवानी करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. जिसमें अंबिकापुर का इलाका रायपुर का इलाका और बस्तर का पठारी क्षेत्र है.

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वैज्ञानिकों का दावा है कि अमरूद की खेती में केवल एक ही बार लागत लगाकर सालों-साल मुनाफा कमाया जा सकता है. आम तौर पर देखें तो ज्यादातर फलों के पेड़ तीन-चार सालों में खत्म हो जाते हैं और किसान को फिर से लागत लगाकर नए पौधे लगाने पड़ते हैं. लेकिन अमरूद की अति सघन बागवानी तकनीक में बार-बार पौधे लगाने की जरूरत नहीं है. कृषि वैज्ञानिकों ने अमरूद की कुछ नई किस्म तैयार की है, जो एक बार लगाने के बाद 28 साल तक फलते रहेंगे.

12 क्विंटल फलों का उत्पादन

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ने एक एकड़ में अमरूद के 1600 पौधे लगाए गए हैं. सालाना 12 क्विंटल से ज्यादा फलों का उत्पादन होगा. चार प्रजाति ललित, इलाहाबाद सफेदा, लखनऊ-49 और वीएनआरबी लगाई गई है. अमरूद में तीन प्रकार के बहार (फूल या बौर) लगते हैं.

भिलाई के अमरूद की मिठास देश-दुनिया में फैली

भिलाई में तैयार होने वाले अमरूद को प्रदेश में कौन नहीं जानता. इन बड़े-बड़े अमरूदों का स्वाद एक बार तो सभी ने लिया है. थाईलैंड विरायटी के इस अमरूद को लोग हाथोंहाथ लेते हैं. सिर्फ अमरूद का वजन ही नहीं उसकी चमक भी लोगों को आकर्षित कर रही है. इस अमरूद की विशेषता है कि इसे 12 से 15 दिन तक रख सकते हैं। एक अमरूद 400 ग्राम से लेकर 1 किलो तक का होता है.

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