अनमोल मिश्रा, सतना। प्रतिभा सुविधाओं की मोहताज नहीं होती है। कोई भी बाधा प्रतिभा को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है गांव के बेटे ने। गांव में पले बढ़े दिव्यांग पिता के बेटे सत्यप्रकाश ने मोबाइल की रोशनी से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर अफसर बन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है। गांव की गलियों से अफसर बनकर निकले बेटे ने अपने पिता को सबसे अपना प्रेरणास्रोत बताया है।
सतना जिले के तिहाई (बम्हौरी) गांव के निवासी सत्यप्रकाश के पिता ज्वाला प्रसाद शुक्ला दिव्यांग हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में हुई है। 10 वीं की पढ़ाई पूरी कर सत्यप्रकाश ने सिविल इंजीनियरिंग में इंदौर से डिप्लोमा किया। इसके बाद एम.ई एनवायरनमेंट से पोस्ट ग्रेजुएशन कर 2021 में एमपीपीएससी के टेक्निकल ग्रुप की प्रतियोगी परीक्षा पास कर एसडीओ के लिए चयनित हुए। वे जल संसाधन विभाग में अपनी सेवाएं देंगे।
माता -पिता का सपना हुआ पूरा
सत्यप्रकाश की मां श्यामा देवी गृहणी हैं। माता-पिता चाहते थे उनका बेटा सत्यप्रकाश अधिकारी बने। इसलिए आज जब संघर्षों के बाद बेटा अपने कदमों में खड़ा हुआ हैं तो दोनों काफी खुश हैं। सत्यप्रकाश के कंधे पर 6 बहनों की जिम्मेदारियां हैं ऐसे में बहनों की खुशी का ठिकाना ही नहीं हैं। बहनों ने कहा कि हमारे पापा तो बैसाखी के सहारे चलते है, भाई अब पूरे परिवार का सहारा बनेगा।
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