सत्यपाल राजपूत, रायपुर। अतिथि व्याख्याता संघ ने ग्रेट-पे का विरोध किया है. संघ ने कहा कि 2011-12 वाले भर्ती नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है जो बिलकुल गलत है, जिसकी हम निंदा करते हैं. पिछले 9 वर्षों से अतिथि व्याख्याता 200 प्रति क्लास की दर से अध्यापन कार्य कर रहे हैं. इन 9 वर्षों के बीच लगभग हर एक विभाग में वेतनमान बढ़ाया गया है.

स्कूली अतिथि शिक्षक के लिए एकमुश्त 18,000 और अंग्रेजी माध्यम स्कूल में शिक्षकों के लिए 38,000 एकमुश्त वेतनमान निर्धारित किया गया है. वहीं महाविद्यालयों में पढ़ाने वाले अतिथि व्याख्याताओं के वेतनमान में कोई वृद्धि नहीं हुई है.

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भानु आहिरे ने कहा कि अतिथि व्याख्याता संघ पिछले 4 वर्षों से एकमुश्त वेतनमान की मांग कर रहे हैं. बढ़ती मंहगाई के दौर में प्रतिकाल खंड 200 महज महीने में प्राप्त 16-17 रूपये में जीवन यापन और परिवार को चला पाना संभव नहीं है. अतिथि व्याख्याताओं के लिए 20,800 वेतनमान तो निर्धारित है लेकिन शासकीय अवकाशों का वेतन काट लिया जाता है, जिससे 16-17 हजार हाथ लग पाता है. हमारे मातृ राज्य मध्यप्रदेश में अतिथि विद्वानों को 1500 प्रतिदिन और महीने का 45,000 हजार तथा न्यूनतम 30,000 वेतनमान दिया जाता है.

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छत्तीसगढ़ में एक ओर महाविद्यालयों में पदस्थ सहायक प्राध्यापकों को 57,000 से 2 लाख तक वेतन दे रहे हैं और वहीं सहायक प्राध्यापकों के रिक्त पदों पर कार्य करने वाले अतिथि व्याख्याताओं को 200 प्रति कालखंड  20,800  जो कि सहायक प्राध्यापकों की  अपेक्षा बहुत कम है, जबकि अतिथि व्याख्याता नियमित प्राध्यापकों जितनी ही मेहनत और कार्य करते हैं. समान कार्य के लिए समान वेतन दी जानी चाहिए.

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अधिकांश राज्य जैसे दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, बिहार में अतिथि विद्वानों को 50,000 से अधिक वेतन दिया जा रहा है. हम मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री से मांग करते हैं कि अतिथि व्याख्याताओं को  अन्य राज्यों की तरह एकमुश्त वेतनमान दिया जाए.

गौरतलब है कि विश्व विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा गेस्ट फैकल्टी के लिए 57,000 प्रतिमाह निर्धारित किया इसका पालन छत्तीसगढ़ सरकार को करनी चाहिए.

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