नई दिल्ली। गुजरात के भरूच लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद मनसुख भाई वसावा ने पार्टी से इस्तीफा सौंप दिया है. उन्होंने आगामी बजट सत्र में लोकसभा से इस्तीफा देने का भी ऐलान किया है. इस्तीफे में लिखा है कि आदिवासी गांवों को इको सेंसेटिव जोन में शामिल करने के विरोध में यह कदम उठाया है. गुजरात प्रदेश भाजपा के सांसद मनसुख भाई वसावा अपना इस्तीफा आगामी बजट सत्र के दौरान लोकसभा अध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से देंगे.
गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री वसावा ने प्रधानमंत्री मोदी को पिछले हफ्ते पत्र लिखकर मांग की थी कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की नर्मदा जिले के 121 गांवों को पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने संबंधी अधिसूचना वापस ली जाए. जिस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया. जिसके चलते उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया.
इधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पाटिल ने कहा है कि वसावा ने इस्तीफा नहीं दिया है और पार्टी को ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है.
इस्तीफा दिए जाने के बाद से सांसद वसावा भूमिगत हो गए हैं वहीं उनके समर्थक उनके घर पर जमा हो गए हैं. समर्थकों का मानना है कि इको सेंसेटिव जोन का मुद्दा काफी गंभीर है किस से किसानों की निजी जमीन के उपयोग में भी परेशानी होगी तथा जलवा जंगल की संपदा के उपयोग करने पर भी रोक लग जाएगी. नर्मदा के जिन गांवों को इको सेंसेटिव जोन के भीतर घोषित किया गया है यह सभी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैचू ऑफ यूनिटी के आसपास के हैं.
बता दें कि मनसुख भाई वसावा बीजेपी के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे. वह 6 बार लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन चुके हैं. पिछले मोदी सरकार में उन्होंने राज्यमंत्री का पदभार भी संभाला था, लेकिन पिछले कुछ दिनों से वह पार्टी के कामकाज के तरीकों से नाखुश नजर आ रहे थे.