Gujarat Government Ordinance On Love Marriage: आपकी लव मैरिज पर सरकार ने टेढ़ी नजर की है। जी हां… घर से भागकर और छुपकर प्रेम विवाह विवाह करने पर पाबंदी लग सकती है। दरअसल गुजरात सरकार लव मैरिज के लिए अध्यादेश लाने जा रही है। इसके बाद प्रेम विवाह के लिए माता पिता की स्वीकृति जरूरी होगी। उप मुख्यमंत्री हर्ष संघवी की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद मंत्रिमंडल की बैठक में इससे संबंधित अध्ययादेश पर मुहर लगाई जा सकती है। भाजपा व कांग्रेस नेताओं ने एक सुर में इस तरह के कानून का समर्थन भी किया है।
अगर गुजरात सरकार इस प्रस्तावित अध्यादेश पर मुहर लगा देती है तो गुजरात इस तरह का अध्यादेश लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। दिलचस्प और विडंबनापूर्ण बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस, दोनों ही दलों के नेताओं ने इस कानून का एक सुर में समर्थन किया है। वहीं इस कदम ने पूरे भारत में राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में एक नई बहस और विवाद को जन्म दे दिया है।

सूत्रों का कहना है कि भाजपा 2023 से ही इस अध्यादेश को पेश करने का प्रयास कर रही थी। इसके पीछे भागकर शादी करने (elopement), धोखे से की गई शादियों और माता-पिता को होने वाली परेशानियों को मुख्य कारण बताया गया है। विधायकों, समुदाय के नेताओं और स्थानीय अधिकारियों से मिले इनपुट के बाद हाल के महीनों में इस मुद्दे ने काफी जोर पकड़ा है। भाजपा विधायक रमन लाल वोरा और हीरा सोलंकी के साथ-साथ कांग्रेस सांसद गेनीबेन ठाकोर ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि एक ऐसे कानूनी ढांचे की सख्त जरूरत है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि जब बच्चे बिना बताए शादी कर लें तो माता-पिता खुद को असहाय महसूस न करें। उनका तर्क है कि माता-पिता की भागीदारी भावनात्मक, कानूनी और सामाजिक जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकती है, खासकर उन मामलों में जिनमें युवा जोड़े शामिल होते हैं।
पाटीदार समुदाय की लंबी मांग
प्रभावशाली पाटीदार समुदाय के नेता लंबे समय से इस तरह के प्रावधान की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि किशोर लड़कियां अक्सर भावनाओं में बहकर भाग जाने का फैसला कर लेती हैं और बाद में उन्हें पछताना पड़ता है, जिसका असर उनके जीवन और परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा दोनों पर पड़ता है। हाल ही में, दिनेश बामनिया, गीता पटेल और वरुण पटेल सहित पाटीदार नेताओं ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और उपमुख्यमंत्री हर्ष संघवी से मुलाकात कर अपनी मांगों पर जोर दिया था।
करणी सेना भी कानून बनाने की मांग पर अड़ी, एमपी में करेगी प्रदर्शन
गुजरात के पाटीदार समाज के बाद अब एमपी में करणी सेना ने भी लव मैरिज में माता-पिता की सहमति को अनिवार्य किए जाने की मांग उठा दी है। करणी सेना 21 दिसंबर को 21 सूत्रीय मांगों को लेकर जनक्रांति न्याय आंदोलन करने जा रही है। इन मांगों में सबसे अहम तीन मांगे हैं। पहली- लव मैरिज करने वाले कपल के लिए माता-पिता की सहमति जरूरी की जाए, दूसरी आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाए और तीसरी- एट्रोसिटी एक्ट में सवर्णों के खिलाफ मामला दर्ज करने से पहले पुलिस जांच करें। खास बात ये है कि ये आंदोलन हरदा में किया जा रहा है।
मंदिरों के फर्जीवाड़े का खुलासा
प्रस्तावित अध्यादेश के पीछे की तत्परता स्थानीय मीडिया की जांच में हुए खुलासों से और बढ़ गई है। रिपोर्ट्स में उत्तर और मध्य गुजरात में ऐसे कई अज्ञात मंदिरों का पता चला है, जिनके नाम और पते बार-बार सैकड़ों शादियों के पंजीकरण के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। एक चौंकाने वाले मामले में, गोधरा के एक मंदिर के पते का इस्तेमाल 100 से अधिक विवाह पंजीकरणों में किया गया है। पूछताछ करने पर स्थानीय सरपंच और निवासियों ने खुलासा किया कि पटवारियों (ग्राम लेखाकारों) और पुजारियों का एक नेटवर्क कथित तौर पर आधिकारिक रिकॉर्ड और मंदिर की पहचान का दुरुपयोग करके ऐसी शादियों को सुविधाजनक बना रहा था। इन खुलासों के बाद, संघवी ने कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा की। राज्य सरकार अब बुधवार की कैबिनेट बैठक में इस अध्यादेश को लाने की तैयारी कर रही है ताकि ऐसी प्रथाओं पर लगाम लगाई जा सके और शादियों से जुड़ी कानूनी प्रक्रिया को सख्त किया जा सके।
एक्सपर्ट बोले- ये मूल अधिकारों का हनन
हालांकि इस तरह के कानून का एक्सपर्ट ने विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट तनुज दीक्षित कहते हैं कि भारतीय कानून के मुताबिक शादी के लिए लड़की की उम्र 18 साल और लड़के की उम्र 21 साल होना अनिवार्य बताया गया है। वहीं कानून ये कहता है कि ऐसे में लड़का और लड़की चाहें किसी धर्म, जाति के हों, वो शादी कर सकते हैं। अगर उनके धर्म अलग हैं तो वो स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी का रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।तनुज बताते हैं कि भारतीय संविधान के अनुसार भारत के नागरिकों को कई अधिकार दिए गए हैं। अगर ये होता है तो व्यक्ति के मूल अधिकारों का हनन होगा।
- अनुच्छेद 19 में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है।
- अनुच्छेद 21 में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार।
- स्वतंत्र और गौरवपूर्ण जीवन जीने का अधिकार
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