नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण की वजह से लगे लॉकडाउन में पहले दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करने वालों के लिए एक वक्त की रोटी तक जुटाना मुश्किल हो गया था, ऐसे में एक आईपीएस अधिकारी की पहल सैकड़ों लोगों के लिए संकट की घड़ी में जीने की आस पैदा की.

बात हो रही है गुजरात के वडोदरा में डीसीपी (आईपीएस) सरोज कुमारी की. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में हमें महसूस हुआ कि वडोदरा में कच्ची बस्ती, सड़क किनारे और ओवर ब्रिज के नीचे रहने वाले कई लोगों के सामने पेट भरने की समस्या है. कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे, इसके लिए पुलिस रसोई शुरू करने का फैसला लिया.

पहले पहल लोग फोन कर भोजन की जरूरत के बारे में बता दिया करते थे, जिसके अनुसार भोजन तैयार किया था, फिर शहर में चुनिंदा स्थानों पर लोगों को जाकर भोजन उपलब्ध कराया जाता था. लोग पुलिस रसोई में बने भोजन का इंतजार किया करते थे.

पुलिस रसोई 11 जून तक चली. इसके बाद अनलॉक-1 की शुरुआत के बाद लोग अपने स्तर पर जब भोजन की व्यवस्था करने में समक्ष हो गए, तब रसोई को बंद कर दिया गया. रसोई तो बंद हो गई लेकिन इसके जरिए पुलिस का वह मानवीय चेहरा देखने को मिला, जिससे बहुत से लोग नाकाकिफ हैं.

कभी माता-पिता पर कसते थे तंज

राजस्थान के झुंझुनू जिले के चिड़ावा तहसील के एक छोटे से गांव बुडानिया की रहने वाली सरोज कुमारी ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर आईपीएस बनीं. पुलिस अधिकारी बनने से पहले गांव और घर-परिवार के लोग माता-पिता को शादी नहीं कर करने पर तंज कसा करते थे, लेकिन आईपीएस बनने के बाद गांव के साथ घर-परिवार में मान बढ़ गया है.