रायपुर। छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार के मंत्री और विभाग पर तीखे सवाल दागकर कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह ने विपक्ष को सियासी हथियार दे दिया है, जिससे अब सरकार पर बीजेपी एक के बाद एक घावदार प्रहार कर रही है. इसी कड़ी में अब पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने छत्तीसगढ़ सरकार पर ‘कलम की जगह बंदूक’ मामले में सियासी फायरिंग की है.

दरअसल, बृहस्पत सिंह के पत्र पर अब सियासत तेज हो गई है. पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि छात्रों को विवश और लाचारी के दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार धकेलने का काम कर रही है.

धरमलाल कौशिक ने कहा कि कांग्रेस की सरकार नर्सिंग छात्रों को कलम की जगह बंदूक थमाने की तैयारी में है. कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक के द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है कि नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश नहीं हो रहा है.

कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार नरुआ गरूआ घुरुआ बारी से उबर नहीं रही है. शिक्षा व्यवस्था चौपट हो रही है, सीटें खाली हैं. अफसर अलग-अलग प्रक्रिया और कानून की बात कर रहे हैं. आखिर छात्रों का भविष्य क्या होगा ?.

क्या है पूरा मामला ?
बता दें कि रामानुजगंज विधायक बृहस्पत सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र में निवेदन करते हुए लिखा है कि छत्तीसगढ़ में शासकीय, अर्द्धशासकीय और निजी नर्सिंग महावद्यिालयों में विभाग की उदासीनता से करीब 2700 नर्सिंग छात्र-छात्राओं की सीटें खाली हैं. 12वीं पास छात्र-छात्राएं नर्सिंग की पढ़ाई करने के लिए कॉलेजों में दर-दर भटक रहें हैं. लेकिन सीटें रिक्त होने के बाद भी उन्हें प्रवेश नहीं दिया जा रहा है.

बृहस्पत सिंह ने आगे लिखा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संज्ञान में पिछले साल छात्रों ने ये बात लाई थी तो 2021-22 सहित पिछले तीन वर्षों तक प्रवेश दिया जाता रहा है. इस साल स्वास्थ्य शिक्षा विभाग के तानाशाही रवैया के कारण अभी तक नर्सिंग की पढ़ाई करने वाले छत्तीसगढ़ के विद्यार्थी अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अति गरीब छात्र-छात्राएं महिनों से प्रवेश के लिए गुहार लगाते-लगाते थक चुके हैं. शासन-प्रशासन से मोह भंग हो चुका है. प्रवेश देने से राज्य सरकार के पर या विभाग के उपर कोई वित्तीय भार भी नहीं होगा.

कलम की जगह बंदूक पकड़ाना चाहते हैं अफसर : विधायक

विधायक ने लिखा है कि छत्तीसगढ़ के छात्र-छात्राएं नर्सिंग की पढ़ाई कर अपने पैरों खड़ा खड़ा होना चाहते हैं. छत्तीसगढ़ और समाज के मुख्य धारा के साथ जुड़कर राज्य के विकास में भागीदारी निभाना चाहते हैं. लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की मनमानी और लाल फीताशाही इन्हें स्वास्थ्य शिक्षा से वंचित कर रही है. इनके हाथ में कलम की जगह बंदूक पकड़ाना चाहती है. जो छत्तीसगढ़ के युवाओं और राज्य के लिए चिंताजनक विषय है.

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