शेखर उप्पल,गुना। जिले के नवनिर्मित थाने के उद्घाटन समारोह में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने शिरकत की, तभी से एक और विवाद शुरू हो गया. जिसमें कहा जाने लगा है कि यह भारतीय जनता पार्टी की अंतर्कलह है. इस मामले में ना तो भारतीय जनता पार्टी की तरफ से किसी ने कुछ कहा और ना ही विपक्षी की तरफ से कुछ कहा गया. इतना ही नहीं अचानक उद्घाटन समारोह के दूसरे दिन शिलालेख ही बदल गया, जहां पहले गुना शिवपुरी के सांसद के पी यादव का नाम नहीं था.

वही अचानक से उनका नाम भी जोड़ दिया गया. यह सब हुआ कैसे और क्यों इसके लिए कई लोगों के कई सारे मत हैं. लेकिन जन मानस में यह जरूर बातचीत का नया मुद्दा बन गया. लोगों के द्वारा सुना जाने लगा कि यह कोई पहली बार नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी के किसी कार्यक्रम में गुना शिवपुरी अशोकनगर के सांसद के पी यादव को पीछे रखा गया हो.

क्या है पूरा मामला ?

5 मई 2022 को गुना शहर के कैंट थाने में नवनिर्मित भवन का उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया. पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने थाने का लोकार्पण किया. लोकार्पण में क्षेत्रीय सांसद के पी यादव को नजरअंदाज भी किया गया ऐसा प्रतीत हुआ, जो कि थाने पर लगी शीला पट्टी में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया के साथ क्षेत्रीय विधायक गोपीलाल जाटव का नाम अंकित किया गया.

इसमें कहीं भी क्षेत्रीय सांसद के पी यादव का नाम नहीं था और महज 24 घंटे के अंदर ही अचानक से शिला पट्टीका बदल जाती है. उस पर सांसद के पी यादव का नाम आ जाता है. यह सब किसके इशारे पर हुआ यह कह पाना मुश्किल है. लेकिन सूत्र बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी में कुछ लोगों ने इस बात को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी कि सांसद का नाम शिलालेख में क्यों नहीं ?

आखिर कौन है के पी यादव

सिंधिया राजघराने का गढ़ कहलाए जाने वाले गुना शिवपुरी संसदीय क्षेत्र में पहली बार यदि सिंधिया राजघराने को किसी ने हराया तो वह सांसद के पी यादव है. के पी यादव के बारे में कहा जाता है कि वह पहले सिंधिया के खास सहयोगी होते थे. लेकिन किसी मनमुटाव के चलते उन्होंने कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा. 2014 के चुनाव में उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराकर यह साबित कर दिया कि चुनाव में जनता सर्वोपरि है. कोई राजघराना नहीं. तब तो केपी यादव को सिर आंखों पर बिठाया गया था, लेकिन जब से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारतीय जनता पार्टी का हाथ थामा है, तब से के पी यादव की पार्टी में कोई ज्यादा पूछ परख नहीं रह गई.

ऐसा कई बार देखा भी गया है कि क्षेत्रीय सांसद को कई कार्यक्रमों में तो बुलाया ही नहीं जाता है. अनुशासन के चलते कभी भी क्षेत्रीय सांसद के पी यादव ने इस बात पर ना तो नाराजगी जाहिर की और ना ही शिकायत दर्ज कराई. यह अलग बात है कभी कभार उनके सहयोगियों ने इस बात पर आपत्ति जरूर उठाई. इससे पहले भी कई बार हुआ है. जब श्रेय लेने की राजनीति के चलते क्षेत्रीय सांसद के पी यादव को पीछे धकेल दिया गया.

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