गुप्त नवरात्र नवमी : अषाढ़ शुक्ल पक्ष में गुप्त नवरात्र की नवमी को देव कन्दर्प नवमी के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है की होलिका दहन के दिन शिव के नेत्र से भस्म होने के बाद आज के ही दिन वे पुन: उत्पन्न हुए थे. कन्दर्प हिन्दू देवी श्री के पुत्र और कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न का अवतार हैं. उनका शरीर सुंदर है, वे गन्ने से बना धनुष धारण करते हैं. पांच पुष्पबाण ही उनके हथियार हैं. ये तोते के रथ पर मकर अर्थात मछली के चिह्न से अंकित लाल ध्वजा लगाकर विचरण करते हैं. देवताओं पर जब संकट आया तो कन्दर्प ने अपने आप को दांव पर लगा दिया. कथा है कि तारकासुर के अत्याचारों से परेशान देवता ब्रह्माजी के पास गए.
ब्रह्माजी ने बताया कि महादेव के औरस से कार्तिकेय उत्पन्न होंगे तब वे ही देवसेनापति होकर तारकासुर का वध करेंगे. शिव उस समय समाधि में थे. उनकी समाधि भंग करने की हिम्मत किसी में नहीं थी. देवताओं ने देव कन्दर्प से प्रार्थना की. देव कन्दर्प तैयार हो गए, देवताओं की मदद के लिए जान की बाजी लगाने से वे पीछे नहीं हटे. देव कन्दर्प को पता था कि जो काम वे करने जा रहे हैं उसमें प्राणों का संकट है, लेकिन देवताओं की भलाई के लिए उन्होंने यह कठिन काम किया. शिव की समाधि भंग हुई और उनके तीसरे नेत्र से देव कन्दर्प के अंग भस्म हो गए. तभी से देव कन्दर्प अनंग नाम से प्रसिद्ध हुए.
कई बार ऐसा होता है कि शादी के बाद भी व्यक्ति को दाम्पत्य जीवन का आनंद नहीं मिल पाता और पूरे रीति रीवाजो के साथ किया गया विवाह भी सफल नहीं होता. कई ऐसे लोग हैं जिन्हें देखा जाए तो व्यवहारिक रूप से शादी के बंधन में बंधे हैं पर वास्तव में उन्हें इसका सुख नसीब नहीं होता है. सनातन धर्म में ऐसी कई मान्यताएं हैं जिनके अनुसार पूजा और आराधना कर धर्म, कर्म, मोक्ष को पा सकते हैं. हिन्दु धर्म में त्रिदेव यानी भगवान विष्णु, भगवान शिव और ब्रह्मा जी के अलावा कई सारे देवता की पूजा का विधान है मान्यता है कि अलग अलग देव की स्तुति से अलग अलग परिणाम प्राप्त होते हैं जैसे आप धन के देव कुबेर की पूजा करेंगे तो आपको धन-धान्य की कभी कमी नही होगी, वर्षा के लिए इंद्र देव की स्तुति की जाती है वैसे ही दाम्पत्य जीवन के लिए देव कन्दर्प को पूजनीय माना जाता है.
दाम्पत्य जीवन की सुरक्षा के लिए
गृह क्लेश, घर में किसी भी तरह की अशांति होने या दाम्पत्य में कटुता से बचने के लिए ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:’ मंत्र का नित्य 101 बार जाप करें. देव कन्दर्प यंत्र की पूजा के बाद सामने बैठ कर ॐ कन्दर्पये विद्यहे, पुष्पबाणाय धीमहि, तन्नो काम: प्रचोदयात्’ मंत्र का जाप करें. आपका वैवाहिक जीवन इतना सुंदर और आदर्श बन जाएगा.