एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, और लेखक गुरु दत्त (Guru Dutt) का आज 60वीं डेथ एनिवर्सरी है. उनकी आइकॉनिक फिल्में ‘कागज के फूल’, ‘प्यासा’, ‘साहिब बीबी और गुलाम’ आज भी लोगों के दिलों में राज करती है. इसका अच्छा मुकाम होने के बाद भी गुरु दत्त (Guru Dutt) ने महज 39 साल की उम्र में खुद की जान ले ली थी. उनकी मौत के कारण को लेकर लोगों को आज भी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. उनको आज भी हिंदी सिनेमा का जीनियस माना जाता है.
गुरु दत्त का असल नाम और उनकी जिंदगी की शुरुआत
बता दें कि गुरु दत्त (Guru Dutt) का जन्म कर्नाटक में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता एक हेडमास्टर और बैंकर थे, जबकि उनकी मां लेखिका और शिक्षिका थीं. उनका असली नाम वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण (Vasant Kumar Shivshankar Padukone) था. उन्हेंने कोलकाता में अपना बचपन बिताया, जिससे बंगाली सभ्यता और भाषा पर गुरु दत्त (Guru Dutt) की अच्छी पकड़ हो गई. जिसके बाद अपनी कला और दृष्टि से भारतीय सिनेमा में उन्हेंने एक नई पहचान बनाई. Read More – 1 साल बाद Honey Singh को आई बहन की याद, सरप्राइज देने मेलबर्न पहुंचे सिंगर …
वहीदा रहमान से दिल का रिश्ता और अकेलापन
अपने करियर में केवल आठ फिल्मों का निर्देशन करने वाले गुरु दत्त (Guru Dutt) की हर फिल्म आज भी सिनेमाई क्लासिक मानी जाती है. उनकी शादी प्लेबैक सिंगर गीता दत्त (Geeta Dutt) से हुई थी, लेकिन कुछ सालों बाद उनका दिल अभिनेत्री वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) पर आ गया. इस कारण गीता दत्त (Geeta Dutt) ने उनको छोड़ दिया और वह अपने बच्चों के साथ चली गईं. इस घटना के बाद वो अकेले पड़ गए और इस अकेलेपन को दूर करने के लिए उन्होंने शराब का सहारा लिया. तनाव के चलते, उन्होंने पहले भी दो बार आत्महत्या की कोशिश की थी.
गुरु दत्त की दर्दनाक मौत
उनकी मौत का किस्सा भी उतना ही दर्दनाक है, जितनी उनकी जिंदगी रही. गुरु दत्त (Guru Dutt) ने 10 अक्टूबर 1964 को, सिर्फ 39 साल की उम्र में मुंबई के पेड्डर रोड स्थित अपने घर में आत्महत्या कर लिया था. कहा जाता है कि उन्होंने काफी शराब पी थी और नींद की गोलियों का सेवन किया, जिससे उनकी मौत हो गई. हालांकि, आज भी उनके मौत की असल वजह किसी को नहीं पता है, लेकिन यह सच है कि उनकी मौत से हिंदी सिनेमा ने एक अमूल्य सितारा खो दिया. Read More – Bhool Bhulaiyaa 3 का नया पोस्टर आया सामने, दीवाली पर खुलेगा तंत्र और मंत्र के साथ बंधा दरवाजा …
क्यों गुरु दत्त को माना जाता है सिनेमा का जीनियस?
गुरु दत्त को हमेशा उनके खास विजन और अनूठी फिल्म मेकिंग के लिए याद किया जाता है. वह अपने समय से बहुत आगे की सोच रखते थे. उनकी फिल्मों में सामाजिक और पर्सनल लाइफ की कठिनाइयों को बेहद सेंसिटिव तरीके से दिखाया गया है. उनके द्वारा निर्देशित हर फिल्म आज भी एक सीख देने वाली और दिल को छूने वाली होती है.
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