Guru Gobind Singh Jayanti : गुरु गोबिंद सिंह जयंती न केवल पंजाब में बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों और विदेशों में खूब धूमधाम और भव्यता के साथ मनाई जाती है. सिखों के अंतिम और दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके साहस और करुणा को याद किया.
गुरु गोबिंद सिंह एक योद्धा और कवि के साथ साथ दार्शनिक भी थे. उनके विचारों और शिक्षाओं को मानते हुए, सिख समुदाय इनकी पूजा करती है. गुरु गोबिंद सिंह जयंती पर, लोग उनकी बहादुरी के किस्से सुनाते हैं, उनकी शिक्षाओं और दर्शन को सीखते हैं, साथ ही लोग गुरु गोबिंद के दिखाए गए मार्ग पर चलने का प्रयास करते हैं.
गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 को बिहार के पटना शहर में हुआ था. उनके पिता गुरु तेग बहादुर थे, जो सिख धर्म के नौवें गुरु थे. गुरु गोबिंद सिंह ने अपने जीवन में सिख धर्म के प्रचार-प्रसार और सिखों की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए. उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की, जो सिख धर्म का एक सैन्य संगठन है.
गुरु गोबिंद सिंह ने मुगल सम्राट औरंगजेब के खिलाफ भी संघर्ष किया. उन्होंने औरंगजेब के धर्मांतरण के प्रयासों का विरोध किया और लोगों को धर्म की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया. मुगल बादशाह औरंगजेब ने इस्लाम को अपना धर्म न मानने के कारण गुरु गोबिंद सिंह के पिता गुरु तेग बहादुर का सिर कलम कर दिया था. वहीं, गुरु गोबिंद सिंह की माता माता गुजरी थीं.
माना जाता है कि जिस स्थान पर गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था, उसे अब तख्त श्री हरिमंदर जी पटना साहिब के नाम से जाना जाता है. साल 1676 में बैसाखी के दिन नौ साल की उम्र में गुरु गोबिंद सिंह को सिखों का दसवां गुरु घोषित किया गया. वहीं गुरु गोबिंद सिंह जी 7 अक्टूबर 1708 को महाराष्ट्र के नांदेड़ शहर में शहीद हुए थे. गोबिन्द सिंह जी के चार पुत्र – साहिबजादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह व फतेह सिंह की उनके पहले ही शहादत हो गई थी.
खालसा पंथ के संस्थापक
गुरु गोबिंद सिंह सिख धर्म के सबसे महत्वपूर्ण गुरुओं में से एक हैं. वे एक महान कवि, योद्धा, नेता और धर्मगुरु थे. उन्होंने सिख धर्म को एक मजबूत और संगठित धर्म में बदल दिया. उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना के साथ सिख धर्म के प्रचार-प्रसार करने के साथ सिखों की रक्षा के लिए संघर्ष किया. उन्होंने मुगल सम्राट औरंगजेब के धर्मांतरण के प्रयासों का विरोध करने के साथ लोगों को धर्म की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया.