रायपुर. बृहस्पति को सभी ग्रहों में सबसे पूजनीय स्थान मिला हुआ है. गुरु का प्रभाव अत्यधिक शुभ होता है. ज्योतिष शास्त्र में गुरु के लिए कहा जाता है कि केंद्र में स्थित गुरु लाख दोष को दूर करने वाला होता है, यह युक्ति सर्वत्र प्रसिद्ध है ‘किं कुर्वन्ति सर्वग्रह यस्य केंद्रे बृहस्पति’, अर्थात जिसके केंद्र स्थान में बृहस्पति स्थित हैं, उसका अन्य सभी ग्रह कुछ भी नही कर सकते. यदि केंद्र में और विशेषकर दशम में गुरू हो अथवा दशमेश गुरू हो तो व्यक्ति का कार्यक्षेत्र सफल होता है. हमारे भारत में हर व्यक्ति शासकीय नौकरी की तलाश में रहता है ताकि उसके जीवन में किसी प्रकार की परेशानी न हो. इनमें से अधिकांश लोग चाहते हैं कि उन्हें सरकारी नौकरी मिले. इसके लिए वे तैयारी भी करते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों का ये सपना पूरा हो पाता है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में ग्रह-नक्षत्र की कुछ विशेष परिस्थितियां सरकारी नौकरी के योग का निर्माण करती हैं. कुंडली में दशवें भाव को परम केंद्र कहा जाता है, इसके द्वारा नौकरी का आंकलन किया जाता है. पूर्व कृत कर्मा के आधार अर्जित परिणाम ही इस भाव के द्वारा प्रकट किया जाता है. पिता की स्थिति या पैतृक संपदा तथा शासकीय सहयोग आदि का भी पता इसी भाव से लगाया जाता है. कुंडली में लग्न के बाद इस केंद्र का ही स्थान आता है यदि दशम भाव में कर्क का चन्द्रमा गुरु के साथ हो तथा चन्द्रमा वर्गात्तम हो तों जातक अध्यापक या शिक्षण कार्य से सम्बंधित नौकरी करता है. यदि दशम भाव में शुक्र एवं शनि हो तथा शनि उच्चस्थ हो तथा दशमेश वर्गाेतम हो तों व्यक्ति प्रसिद्ध चिकित्सक होता है, वहीं यदि गुरू केंद्र से संबंध बना रहा हो तो सरकारी विभाग में होता है.

यदि दशम भाव में उच्च सूर्य के साथ मंगल हो तों वह व्यक्ति सेना या पुलिस विभाग का मुखिया होता है गुरू से संबंध हो तो उच्च पद में पदस्थ होता है. यदि दशम भाव में मिथुन लग्न क़ी कुंडली में बुध एवं शनि हो तों जातक लेखा परीक्षक होता है. यदि दशमेश एवं दशम भाव वर्गाेताम हो. यदि दशम भाव में उच्च मंगल के साथ शुक्र हो तों जातक प्रसिद्ध इंजिनियर होता है. यदि दशम भाव एवं दशमेश वर्गाेतम हुए तों. इसी प्रकार यदि दशम भाव में शनि शुक्र एवं द्वीतीय भाव में सूर्य-मंगल हो तथा मंगल अस्त न हो तथा दशम भाव एवं दशमेश वर्गाेत्तम हो तों वह जातक उच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है.

इसके अलावा गुरू के अन्य फल में कार्यक्षेत्र में विशेष फलकारी होता है. गुरु का प्रभाव यश एवं कीर्ति तथा शुभ कर्म करने वाले लोगों पर देखा जाता है. अधिकतर उच्च पदों पर कार्यरत लोगों की कुंडली में बुध आदित्य योग जरूर होता है. जब किसी व्यक्ति की कुंडली में दशम स्थान में सूर्य, मंगल या गुरु की दृष्टि पड़ रही होती है तो सरकारी नौकरी का प्रबल योग बन जाता है. अगर किसी का लग्न मेष, मिथुन, सिंह, वृश्चिक, वृष या तुला है तो सरकारी नौकरी के लिए अच्छा योग बनते हैं. जब कुंडली में सूर्य, गुरु या चन्द्रमा एक साथ हो तो सरकारी नौकरी के लिए अच्छे योग बन जाते हैं.

जन्म कुंडली में लग्न का स्वामी बलवान होकर दशम भाव में बैठे या दशम भाव में सभी शुभ ग्रह हों और दशम भाव का स्वामी बली होकर अपनी या अपनी मित्र राशि में होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तो व्यक्ति दीर्घायु होता है और उसका भाग्य राजा के समान होता है. ऐसा व्यक्ति प्रशासनिक सेवा में जाता है. यदि जन्मकुंडली के लग्न व दशम भाव में सूर्य का प्रभुत्व हो तो व्यक्ति राजनेता या राजपत्रित अधिकारी और मंगल का प्रभुत्व हो तो व्यक्ति के पुलिस या सेना के उच्च पद पर आसीन होने के संकेत मिलते हैं.

हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार, हाथ में सूर्य की दोहरी रेखा हो और बृहस्पति के पर्वत पर क्रास हो तो व्यक्ति को सरकारी नौकरी करने का अवसर मिलता है. गुरु का प्रभाव व्यक्ति को भौतिक सुख दे ना दे लेकिन आत्मिक सुख अवश्य देता है. ये झूठा सुख नहीं देता वरण सच्चा व स्थाई सुख देता है. ये धन नही ज्ञान देता है. लेकिन गुरु का कुण्डली में अशुभ होना अनेक परेशानियों को आमंत्रण भी देता है.

अगर आप भी हो रहे हैं अपने कैरियर से परेशान तो गुरु ग्रह को इस तरह करें मजबूत

प्रत्येक गुरुवार शिवजी को बेसन के लड्डू चढ़ाएं.

गुरुवार को व्रत करें.

ॐ बृं बृहस्पते नम: का जाप न्यूनतम 108 बार जरूर करें.

इस दिन पीली वस्तुओं का दान अपनी सार्म्थ्यनुसार करें.

गुरुवार के दिन सूर्यादय से पहले उठ जाएं और फिर विष्णु के सामने घी का दीपक जलाएं.