Guwahati High Court stay on GST Section 16(2)(aa): देशभर में कारोबार करने वाले व्यापारियों के लिए बड़ी राहत की खबर सामने आई है. गुवाहाटी हाई कोर्ट ने GST की उस धारा पर रोक लगा दी है, जिसके कारण बीते कई सालों से हजारों व्यापारी परेशान थे. यह वही धारा 16(2)(aa) है, जिसमें कहा गया था कि खरीदार को इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) तभी मिलेगा, जब सप्लायर अपनी GSTR-1 में उस बिल को दर्ज करेगा.
समस्या ये थी कि खरीदार किसी भी तरह यह चेक ही नहीं कर सकता था कि सप्लायर ने अपनी रिटर्न समय पर भरी है या नहीं. कई मामलों में सप्लायर रिटर्न नहीं भरते थे और विभाग खरीदार से ही दोबारा टैक्स मांग लेता था. इसी वजह से इस प्रावधान को लेकर लगातार विरोध हो रहा था. अब हाई कोर्ट ने इसे रोक कर व्यापारियों को बड़ी राहत दी है.
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कोर्ट ने क्या कहा?
मुख्य न्यायाधीश आशुतोष कुमार और जस्टिस अरुण कुमार चौधरी ने अपने फैसले में कई अहम बातें साफ तौर पर कही:
- खरीदार यह तय नहीं कर सकता कि सप्लायर कब और कैसे रिटर्न भरेगा.
- कानून में शर्त तो डाल दी गई, लेकिन खरीदार को यह देखने का कोई तरीका ही नहीं दिया गया कि उसका बिल GSTR-1 में दिख रहा है या नहीं.
- CBIC जब तक ऐसा सिस्टम नहीं बनाता जिसमें खरीदार आसानी से इसकी पुष्टि कर सके, तब तक इस धारा को लागू नहीं किया जा सकता.
कोर्ट ने यह भी कहा कि टैक्स चोरी रोकना जरूरी है, लेकिन उसका बोझ उन लोगों पर डालना अनुचित है जो समय पर टैक्स भरते हैं. किसी और की गलती की सजा खरीदार को देना सही नहीं है.
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यह फैसला इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
- पूरे देश में ITC से जुड़े हजारों मामले इसी धारा पर अटके हुए थे.
- पहली बार किसी हाई कोर्ट ने इस नियम को लागू करने पर रोक लगाई है.
- व्यापारी लंबे समय से कह रहे थे कि सप्लायर की गलती पर खरीदार को दंड देना तार्किक नहीं है.
- अब CBIC को ऐसा विकल्प बनाना ही होगा जिससे खरीदार रिटर्न की स्थिति तुरंत देख सके.
व्यापार जगत इसे GST व्यवस्था के इतिहास में बड़ा सुधार मान रहा है.
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व्यापारियों में खुशी की लहर
यह फैसला आने के बाद देशभर के व्यापारी संगठनों ने राहत की सांस ली है.
नॉर्थ इंडिया इंडक्शन फर्नेस एसोसिएशन के अध्यक्ष के.के. गर्ग ने कहा कि:
- कई सप्लायर टैक्स जमा ही नहीं करते थे और विभाग खरीदारों पर कार्रवाई कर देता था.
- इस फैसले से ईमानदार व्यापारियों को आखिरकार सुरक्षा मिलने जा रही है.
उनका कहना है कि लुधियाना, मंडी गोबिंदगढ़, मुंबई, दिल्ली, रायपुर जैसे बड़े औद्योगिक इलाकों में हजारों व्यापारी इस निर्णय से प्रभावित होंगे.
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क्या अब खरीदार से दोबारा टैक्स नहीं मांगा जाएगा?
टैक्स विशेषज्ञ सीए राजीव शर्मा के मुताबिक कोर्ट ने इस बात को बिल्कुल साफ कर दिया:
- अगर सप्लायर GSTR-1 नहीं भरता
- या उसमें खरीदार का बिल नहीं दिखाता
तो विभाग खरीदार से पहले से भरा हुआ टैक्स दोबारा नहीं वसूल सकता.
यह फैसला मैकलॉड रसल इंडिया लिमिटेड बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस में 9 दिसंबर 2025 को सुनाया गया. याचिकाकर्ता की तरफ से वकील ए. कनोडिया ने इस धारा को असंवैधानिक घोषित करने की मांग भी की थी. हालांकि अदालत ने इसे असंवैधानिक नहीं कहा, लेकिन अभी के लिए इसे पूरी तरह रोक दिया है.
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अंत में समझें इसका असर
इस आदेश ने हजारों कारोबारियों को बड़ी राहत दी है. अब तक वे सप्लायर की गलती की वजह से टैक्स दोबारा भरने को मजबूर थे. कोर्ट ने साफ कहा है कि जब तक CBIC खरीदार के लिए आसान और पारदर्शी प्रणाली नहीं बनाता, तब तक यह धारा लागू नहीं की जा सकती. यह फैसला GST व्यवस्था को और न्यायसंगत और व्यावहारिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.
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