कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सेप्टिक टैंक में मिली युवती की लाश मामले में कोर्ट ने तीन साल से जेल में बंद आरोपी को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि संदेह के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। वहीं निर्दोष साबित होने पर अब यह सवाल उठ रहा है कि युवती की हत्या हुई है तो मर्डर करने वाला आखिर कौन था ?
दरअसल, झांसी रोड थाना क्षेत्र के साइंस कॉलेज में 22 फरवरी 2021 को नीलम नाम की युवती की लाश मिली थी। यह लाश अर्धनग्न और जली हुई हालत में थी। जिसे बोरे में बंद कर कॉलेज के सेप्टिक टैंक में फेंका गया था। नीलम जहांगीर कटरा की रहने वाली थी और 8 फरवरी से अपने घर से लापता थी। उसकी मां ने उसकी कान की बाली और कपड़ों से अपनी बेटी की पहचान की थी।
पुलिस जांच पर सवाल ?
इस मामले में पुलिस ने रवि पारदी का अपने घर से मोटरसाइकिल पर एक बोरी के साथ निकलने का सीसीटीवी फुटेज पेश किया था। बताया गया था कि इसी बोरे में रवि पारदी ने नीलम को मारकर उसकी लाश को ठिकाने लगाने निकला था। लेकिन कोर्ट के सामने पेश किए सबूत सही नहीं पाए गए। जिसके चलते पुलिस की जांच पर सवाल खड़े हुए है ?
कोर्ट ने कही ये बात
कोर्ट ने तीन साल से जेल में बंद आरोपी रवि पारदी को बाइज्जत बरी कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि जब पुलिस के पास रवि के घर से युवती के शव को बोरे में भरकर ले जाने के सीसीटीवी फुटेज है, तो युवती के रवि के घर आने के भी सीसीटीवी फुटेज होने थे, लेकिन पुलिस ने ऐसे फुटेज पेश नहीं किये हैं। वहीं एफएसएल रिपोर्ट भी नेगेटिव आई है।
तीन साल जेल में बंद रहने का कौन भुगतेगा खामियाजा
कोर्ट ने कहा कि ऐसे में संदेह के आधार पर रवि को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इसलिए उसे बरी किया जाता है। रवि के निर्दोष साबित होने पर अब यह सवाल उठ रहा है कि जब युवती की हत्या हुई है तो हत्या करने वाला आखिर कौन था और 3 साल तक रवि के जेल में बंद रहने का खामियाजा अब कौन भुगतेगा।
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