कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने आपराधिक मामलों में पुलिस जांच के दौरान महत्वपूर्ण तथ्यों को गायब करने की पुलिस की प्रवृत्ति पर गहरी नाराजगी जताई है। न्यायमूर्ति जी एस अहलुवालिया (Justice GS Ahluwalia) ने ऐसे ही एक मामले में शहर के इंदरगंज थाना प्रभारी  मिर्जा आसिफ बेग ( Inderganj SHO Mirza Asif Baig) और विवेचना अधिकारी आरएस कुशवाह ( Investigation Officer RS ​​Kushwaha) पर तत्काल कार्रवाई करने ग्वालियर एसपी अमित सांघी ( Gwalior SP Amit Sanghi) को निर्देश दिए। इस पर एसपी ने कोर्ट को आश्वस्त किया और टीआई को लाइन अटैच जबकि जांच अधिकारी को निलंबित कर दिया है।

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दरअसल मामला अधिवक्ता योगेश पाल से जुड़ा हुआ है। डीडी मॉल के बाहर आइसक्रीम का ठेला लगाने वाले नारायण दत्त चौरसिया के साथ पिछले साल 4 अक्टूबर को आनंद जादौन ने 10 रुपये के विवाद में गंभीर रूप से मारपीट कर दी थी। इंदरगंज पुलिस ने इस मामले में आनंद जादौन के अलावा योगेश पाल को भी लूट मारपीट का आरोपी बनाया था।

पिछले महीने 21 जनवरी को मुख्य आरोपी आनंद जादौन को कोर्ट से जमानत इस आधार पर मिल गई क्योंकि उसके खिलाफ पुलिस ने कोई ठोस सबूत पेश नहीं किए। जबकि अधिवक्ता योगेश पाल ने अपने जमानत आवेदन के साथ इस बात का उल्लेख किया था कि उसने आइसक्रीम बेचने वाले चौरसिया के साथ कोई मारपीट नहीं की थी। वह तो केवल बीच-बचाव कर रहा था।

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पैनल लॉयर रहे अभिषेक पाराशर को भी कोर्ट ने किया था तलब 

इसके अलावा मॉल के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में पूरी घटना कैद हुई थी जिसमें साफ तौर पर आनंद जादौन ठेले वाले चौरसिया की मारपीट करता हुआ साफ तौर पर दिखाई दे रहा था। जबकि योगेश वहां खड़ा होकर बीच-बचाव कर रहा था। यह मामला कोर्ट में आया था। उस समय सरकारी वकील अंजलि ज्ञानानी न्यायमूर्ति अहलूवालिया को यह बताने में असफल रही कि आनंद जादौन की जमानत के समय सीसीटीवी फुटेज क्यों पेश नहीं किए गए जबकि पुलिस ने उनकी जब्ती की थी। कोर्ट ने उस समय पैनल लॉयर रहे अभिषेक पाराशर को भी तलब किया था। उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि जब उनके पास केस डायरी आई तो उसमें सीसीटीवी फुटेज का उल्लेख नहीं था।

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थाना प्रभारी भी नहीं बता सके थे फुटेज पेश नहीं होने का कारण 

इसके बाद कोर्ट ने इंदरगंज थाने के थाना प्रभारी मिर्जा आसिफ बैग और सब इंस्पेक्टर कुशवाहा को तलब किया। दोनों कोर्ट को नहीं बता सके कि सीसीटीवी फुटेज पहले क्यों नहीं पेश किए गए और बाद में क्यों किए,दोनों के जवाब से असंतुष्ट होकर कोर्ट ने एसपी को तलब किया। एसपी से कोर्ट ने पूछा कि हमेशा महत्वपूर्ण सबूत ही पुलिस डायरी से क्यों गायब होते हैं । यह कई प्रकरणों में हो चुका है पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी अपने अधीनस्थों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं करते हैं इस कारण यह घटनाएं बढ़ती जा रही है। इस पर एसपी ने दोनों ही अधिकारियों पर कार्यवाही की है। अब इस मामले में योगेश पाल की जमानत याचिका पर आगे सुनवाई होगी।

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