कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने कचरा प्रबंधन से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई की. ग्वालियर नगर निगम की कार्यप्रणाली पर खासी नाराजगी भी जताई है. डिवीजन बेंच ने कहा कि आप लोगों से टैक्स वसूल रहे हो, क्यों ? ताकि वो परेशान हो सकें. शहर की सड़कें बदहाल हैं, कहीं ट्रैफिक जाम कहीं जलभराव और ये कचरे का पहाड़. किस बात के पैसे वसूल रहे हैं, वो भी बिना डिटेल दिए. पैसे ले रहे हो तो काम भी तो करो, ये आपकी ड्यूटी हैं. चारों तरफ सड़कें खुदी हुई हैं. वो तो ईश्वर की कृपा है कि ज्यादा पानी बरस नहीं रहा है. पानी बरस जाए फिर देखिए. जलभराव की स्थिति में क्या होगा ?
हाईकोर्ट ने अब इस मामले में नगर निगम को केदारपुर स्थित लैंडफिल साइट पर कचरे के निष्पादन का समयबद्ध प्लान बनाने के लिए भी कहा है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नगर निगम को यदि प्रशासन से सहयोग या फिर शासन से फंड चाहिए तो वे बता सकते हैं.
दरअसल सरताज तोमर ने जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें बताया कि 2019 तक केदारपुर में लैंडफिल साइट तैयार करनी थी, लेकिन अभी तक उसका काम पूरा नहीं हो सका है. नियम के अनुसार साइट पर सेग्रीगेशन करने के बाद कचरे को फेंकना होता है, लेकिन निगम द्वारा सेग्रीगेशन किया नहीं जा रहा. कोर्ट को बताया गया कि केदारपुर क्षेत्र में स्थित साइट पर कचरे का पहाड़ खड़ा हो गया है.
इस पर कोर्ट ने कहा कि ना तो ग्वालियर में सीवेज व्यवस्था है, ना ही ड्रेनेज व्यवस्था. उसके ऊपर से ये कचरे का ढेर. यहां तो महामारी फैलने का पूरा स्कोप है. कहीं ये कूड़ा बारिश के पानी में शहर की तरफ बह गया तो क्या होगा ? कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि नगर निगम कड़ा आदेश पारित करने के लिए बाध्य ना करें.
वहीं, निगम की ओर से पैरवी करते हुए एडवोकेट दीपक खोत ने कहा कि निगम के पास डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए 238 वाहन हैं. दूसरे प्रकार के वेस्ट कलेक्शन के लिए 172 वाहन हैं. इसके अलावा निगम के पास सात फिक्सड कॉम्पेक्टर ट्रांसफर स्टेशन हैं.
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