कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने जिला एवं सत्र न्यायालय के नवीन भवन का निर्माण पूरा करने की तारीख निर्धारित कर दी है. हाईकोर्ट के अनुसार 15 दिसंबर 2022 तक यह निर्माण कार्य पूरा करना होगा. पीआईयू को कलेक्टर के पास बन रहे नवीन भवन को हैंड ओवर करना ही होगा. न्यायालय ने अपर कलेक्टर इच्छित गढ़पाले और पीआईयू के मुख्य अभियंता बीके आरख को शपथ पत्र पेश करने के निर्देश भी दिए हैं.

आनंद भारद्वाज ने जिला न्यायालय के नवीन भवन को लेकर जनहित याचिका दायर की है. यह याचिका वर्ष 2009 से लंबित है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजू शर्मा ने न्यायालय में तर्क दिया कि ग्वालियर के जिला न्यायालय के नवीन भवन का लंबे समय से निर्माण कार्य चल रहा है. इसके साथ ही जिन भवनों को स्वीकृति मिली थी उनका काम पूरा हो चुका है, लेकिन ग्वालियर जिला न्यायालय की बिल्डिंग अभी तक पूरी नहीं हुई है. यहां पार्किंग के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है, जबकि कोर्ट ने भवन के पास स्थित जमीन को अधिग्रहण करने के आदेश दिए थे. लेकिन जमीन का अधिग्रहण भी नहीं किया गया है.

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कलेक्टर ने फंड की कमी का हवाला दिया है. कलेक्टर से भवन का निर्माण पूरा होने की तारीख पूछी थी, लेकिन कलेक्टर इसे नहीं बता पाए. जिसके बाद कोर्ट ने कलेक्टर और मुख्य अभियंता पीआईयू को उपस्थित होने के निर्देश दिए थे. लिहाजा न्यायालय के सामने उपस्थित होते हुए मुख्य अभियंता द्वारा बताया गया कि पांचवी मंजिल का स्लैब बनना शेष रह गया है. बाहर का प्लास्टर भी होना है. इस कार्य को पूरा कर दिसंबर 2022 के अंत तक भवन हैंडोवर कर देंगे. लिहाजा कोर्ट ने आदेश दिया कि 15 दिसंबर तक भवन का निर्माण पूरा कर हैंडोवर किया जाए, जो बातें कोर्ट को बताई गई है उन्हें शपथ पत्र पर लिख कर देना होगा.

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 गौरतलब है कि जिला न्यायालय के नवीन भवन के निर्माण के लिए 1999 में प्लान तैयार किया गया था. उस वक्त 25 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे. 2014 में भवन के निर्माण की राशि का पुनः निरीक्षण करने पर लागत राशि 38 करोड़ पर पहुंच गई. जिसके चलते ठेकेदार ने बिल्डिंग का कार्य समय पर पूरा नहीं किया और देखते ही देखते लागत राशि 66 करोड़ पर पहुंच गई. लगातार कार्य में हो रही देरी के चलते वर्तमान में इस भवन की लागत 90 करोड़ से अधिक हो गई है. जबकि भवन निर्माण में हो रही देरी के चलते न्यायालय शिफ्ट होने की समस्या भी आ रही है, क्योंकि पुराने भवन में जगह की काफी कमी है पक्षकार और वकीलों के बैठने के साथ ही जजों के लिए भी जगह कम पड़ने लगी है.

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