कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। देश की आन बान शान राष्ट्र ध्वज (National flag) तिरंगा (Tiranga) के प्रति लोगों की दीवानगी बढ़ती जा रही है। हर घर तिरंगा की मुहिम से देश प्रदेश के कोन कोने तक एक अलग ही उत्साह देखने मिल रहा है। लेकिन क्या आप जानते है कि आखिर यह तिरंगा कैसे तैयार होता है, कितने मापदंडों से गुजरने के बाद यह झंडा तैयार होता है। पढ़िए पूरी खबर…
स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के लिए देश की सर्वश्रेष्ठ तिरंगा बनाने वाली ग्वालियर (Gwalior) की मध्य भारत खादी संघ (Madhya Bharat Khadi Sangh) के पास तिरंगे की मांग इस बार 5 गुना बढ़ गई है। मध्य भारत खादी संघ इस बार एक करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत के झंडे सप्लाई कर चुका है। जिसमें देश के 14 राज्यों में 16000 से ज्यादा झंडे सप्लाई किए गए। देश की सर्वश्रेष्ठ संस्था में तिरंगा झंडा तैयार करने में 6 दिन का समय लगता है। यहां 180 से लेकर 9000 रुपये तक कीमत के झंडे बनाए जाते हैं।
देशभर में देश की आजादी का जश्न स्वतंत्रता दिवस धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। संस्थानों से लेकर लोग अपने घरों में “तिरंगा” फहरा रहे हैं। हर घर तिरंगा नजर आ रहा है। यही वजह है कि तिरंगे की मांग इस बार पांच गुना ज्यादा बढ़ गई। लिहाजा राष्ट्रीय ध्वज निर्माण एजेंसियां बड़ी मात्रा में तिरंगा बनाने में जुटी हैं।
15 से अधिक राज्यों में सप्लाई
ग्वालियर में बने तिरंगे की देशभर में मांग है। ग्वालियर में मध्य भारत खादी संघ की स्थापना 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी। 1956 में मध्य भारत खादी संघ को आयोग का दर्जा मिला। ग्वालियर में बने तिरंगे देश के 15 से ज्यादा राज्यों में सप्लाई होते हैं। वैसे तो सलाना 20 हजार तिरंगे बनाते है, लेकिन इस साल लाखो तिरंगों का ऑर्डर मिला है।
ISI मानकों के आधार पर होता है तैयार
ग्वालियर में जो तिरंगे तैयार होते हैं, वो राष्ट्रीय ध्वज मानकों ISI के आधार पर होता है। तिरंगा झंडा के लिए धागा इसी केंद्र पर हाथों से तैयार किया जाता है। जिसमें ताना बाना की मजबूती से लेकर रंग तक राष्ट्रीय मानक के आधार पर रहता है। तिरंगे की सिलाई के दौरान कपड़े का मेजरमेंट, रंगों की मजबूती, सहित अन्य मानकों को जांचने के लिए मशीनों से टेस्टिंग की जाती है। करीब 20 से ज्यादा टेस्टिंग से गुजरने के बाद तिरंगा तैयार होता है।
तिरंगा बनाने वाले भी खुश हैं कि इस साल तिरंगा को लेकर लोगों में भारी क्रेज बढ़ा है। साथ ही इस बात का गर्व महसूस होता है कि वो देश की शान तिरंगा बनाने का काम करते हैं। वहीं देश प्रेमी मानते हैं कि राष्ट्रध्वज देश की अस्मिता का परिचायक होता है। ध्वज से ही राष्ट्र का सम्मान होता है।
ग्वालियर को मिला गौरव
वहीं बहुत ही मेहनत के साथ तिरंगा झंडा तैयार करने के लिए दिन रात काम करने वाली महिला कारीगरों का कहना है कि उन्हें बहुत गर्व होता है, क्योंकि उनको देश के सम्मान राष्ट्रीय ध्वज बनाने का काम मिला हुआ है। देश मे हुबली और ग्वालियर में ही ISI मार्क वाले खादी के तिरंगे बनाए जाते हैं। तिरंगा बनाने का गौरव ग्वालियर को मिला है। जिससे हर किसी को गर्व महसूस होता है।
Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक