कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में OBC फैक्टर सत्ता तक पहुंचाने में मुख्य भूमिका अदा करेगा। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही सियासी रण के लिए तैयार हो चुकी हैं, लेकिन इस बार दोनों ही दल एक ही फॉर्मूले पर काम कर रहे है। वो फॉर्मूला है “OBC फेस”। जी हां बीजेपी-कांग्रेस दोनों ही टिकिट वितरण में ओबीसी चेहरे को जगह दे रहे है, लेकिन फिर भी अभी तक के टिकट वितरण के सफर में भाजपा, कांग्रेस से आगे निकलती हुई नजर आ रही है।
OBC मुद्दों के बीच टिकट वितरण में बाजीगर बनी BJP
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही विधानसभा चुनाव 2023 के लिए टिकट वितरण कर रही है। बीजेपी चार सूची जारी कर 136 टिकट घोषित कर चुकी है, वहीं CONG पहली सूची जारी कर 144 टिकट घोषित कर चुकी है। इस दौरान BJP ने 136 प्रत्याशियों में से 29 प्रतिशत ओबीसी को महत्व देते हुए ओबीसी वर्ग के 40 प्रत्याशियों को टिकट दिया है। जबकि कांग्रेस ने अपनी पहली ही सूची में 144 प्रत्याशियों को टिकट दिया है, जिनमें 27% ओबीसी प्रत्याशियों को महत्व देते हुए 39 टिकट OBC चेहरों को दिए है। चुनावी बेला में बीजेपी ने 136 में से 40 जबकि कांग्रेस ने 144 में से 39 OBC चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा है।
OBC आरक्षण को मुद्दा बनाकर हवा देने वाली CONG की ही निकल चुकी है हवा
जिस ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को कांग्रेस देश व्यापी मुद्दा बनाकर हवा देने का प्रयास कर रही है, भाजपा ने प्रदेश में उसकी ही हवा निकाल दी है। ऐसा कहना है भारतीय जनता पार्टी ग्वालियर के पूर्व जिला अध्यक्ष कमल माखीजानी का, बीजेपी ने अब तक जारी प्रत्याशियों की चार सूचियों में से 29 प्रतिशत टिकट ओबीसी वर्ग को दिए हैं। जो BJP की नीति और नियत दोनों को उजागर करता है। जबकि कांग्रेस सिर्फ जनता खासकर OBC समाज को गुमराह करने का काम करती है। जिसे कांग्रेस की 144 प्रत्याशियों की घोषणा में साफ देखा भी जा सकता है।
कांग्रेस जो वादा करती है उसे निभाती भी है
OBC समाज के कल्याण के लिए कांग्रेस प्रतिबद्ध है। ऐसा कहना है कांग्रेस नेता सिद्धार्थ सिंह राजावत का, BJP की बयानबाजियों पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस जो वादा करती है उसे निभाती भी है। इसका उदाहरण कांग्रेस के 101 वचन है, जिनमें OBC समाज के हित में जातिगत जनगणना कराने और शासकीय सेवाओं के साथ योजनाओं में OBC वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही गयी है।
OBC वाली सोशल इंजीनियरिंग के जरिये सता के सिंहासन तक पहुंचने का सपना
दोनों ही प्रमुख राजनीतिकी दल MP की सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने OBC वाली सोशल इंजीनियरिंग पर काम कर रहे है। कांग्रेस बीते लंबे समय से ओबीसी राजनीति को हवा देने की कोशिश कर रही है, यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी ने भी न केवल ओबीसी प्रत्याशियों की संख्या बढ़ी, बल्कि इनमें महिलाओं को भी तवज्जो दी गई है। इन्हें टिकट देकर भाजपा ने यह संदेश दिया है कि वह प्रदेश के सभी वर्गों की हितैषी है और सभी वर्ग भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है।
2018 में भी BJP-CONG ओबीसी फैक्टर के साथ मैदान में उतरी थी
2018 में 230 विधानसभा सीटों में 148 अनारक्षित सीटों पर दोनों ही पार्टी ने सभी जातिगत समीकरणों का ख्याल रखा है। लेकिन 148 अनारक्षित सीटों पर कांग्रेस पार्टी ने 40 फीसदी वहीं BJP ने 39 फीसदी टिकट OBC को दिए थे। 2018 चुनाव में OBC मुद्दों के साथ सियासी हवा मिलने पर BJP को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था।
मतदाता तय करेगा दोनों ही दलों के प्रत्याशियों का भविष्य
17 नवंबर का मतदान और 3 दिसंबर की मतगणना तय कर देगी की प्रदेश के करोड़ों मतदाता किसकी सरकार बनवाते है। इस दौरान देखना दिलचस्प होगा कि प्रदेश की जनता OBC मुद्दों को हवा देने वाले फॉर्मूले वाली राजनीति को कितनी तरहीज देती है। क्या वाकई में OBC फेस गेम चेंजर बनेगा ?
मतदान जरूर करें, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बने
लल्लूराम डॉट कॉम भी अपील करता है, बनाओ कीर्तिमान सबसे अधिक मतदान का संकल्प लें…मतदाता जरूर वोट डालने जाए और लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व के सहभागी बने।
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