कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश में भूमाफियों से जुड़े यूं तो बहुत मामले सामने आ रहे है, लेकिन इन दिनों MP में सबसे ज्यादा चर्चा माफी औकाफ मंदिरों की जमीन की है। जिन पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर रखा है। अकेले ग्वालियर जिले के 20 से ज्यादा मंदिरों की हज़ारों बीघा जमीन को माफियाओं ने खुर्दबुर्द कर बेच दिया या फिर कब्जा कर लिया है। मंदिरों के पुजारी और ट्रस्टियों ने अब प्रदेश के नए मुखिया डॉ मोहन यादव से गुहार लगाई है तो वहीं ग्वालियर-चंबल संभाग के कलेक्टर्स एक्शन में है। उन्होनें सर्किल के SDM को ऐसी भूमि चिंहित करने के आदेश दिए है।

ग्वालियर में “मंदिरों की अधिकांश जमीन पर भूमाफियाओं का कब्जा” हो गया है। आजादी के बाद जिले के 865 मंदिरों को 4290 हेक्टेयर भूमि दी गई थी। माफियाओं से सांठगांठ से राजस्व विभाग के अमले ने मंदिरों के खसरों में बदलाव किए। 60 से 70 के दशक में जो जमीनें मंदिरों के नाम थीं, वह निजी दर्ज हो गईं। अब कलेक्टर ने नए सिरे से मंदिरों की जमीन का सर्वे और कब्जे हटाने की कवायद शुरू की।

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जिले में मंदिर व उनके नाम कितनी जमीनें

ग्वालियर तहसील

  • 183 राजस्व ग्रामों में 352 धर्म स्थल हैं। इनके नाम 1091.79 हेक्टेयर भूमि है। यहां मंदिरों की काफी जमीन खुर्दबुर्द हो गई है।

डबरा तहसील

  • 123 राजस्व ग्रामों में 285 धर्म स्थल हैं। इनके नाम 2122.47 हेक्टेयर जमीन है। इस तहसील के गांवों में मंदिरों की जमीन को खुर्दबुर्द करने के मामले सामने आ चुके हैं।

भितरवार तहसील

  • 117 राजस्व ग्रामों में 228 धर्मस्थलों के नाम 1076.65 हेक्टेयर जमीन है। भितरवार में मंदिरों के नाम बड़े रकवे मौजूद हैं। यहां भी जमीनें खुर्दबुर्द हुई हैं।

आइए एक नज़र ग्वालियर जिले के उन मंदिरों पर डालते है जिनकी जमीन पर कब्जा हो गया है…

  • गंगादास की बड़ी शाला के नाम पर 85 बीघा जमीन है।
  • शिंदे की छावनी स्थित महादेव ट्रस्ट की अलग-अलग पटवारी हलकों में 120 बीघा जमीन दर्ज है।
  • अम्मा जी महाराज निंबालकर की गोठ के पास लगभग 50 बीघा जमीन है।
  • गजराराजा चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम शहर में लगभग 73 बीघा जमीन है।
  • रामजानकी मंदिर छोटी शाला के नाम पर शहर और आसपास के गांवों में 100 बीघा से ज्यादा जमीन है।
  • नरसिंह मंदिर बेहट के नाम पर लगभग 187 बीघा जमीन है।
  • इन जमीनों में से अधिकांश जमीन भूमाफियाओं के नाम रिकार्ड में दर्ज चुकी है।

इन मंदिरों की जमीनों को बचाने के लिए आरटीआई एक्टिविस्ट लेकर मंदिरों के पुजारी और ट्रस्टी भी मैदान में है। लेकिन लंबी शिकायतों के बावजूद भी मंदिरों की जमीनों को मुक्त नही कराया जा सका है।

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धार्मिक, सामाजिक ट्रस्ट, माफी-औकाफ की ग्वालियर शहरों में मौजूद अधिकतर जमीनों को खुर्दबुर्द किया जा चुका है। ट्रस्ट, सरकारी अधिकारी-कर्मचारी और भू माफिया के गठजोड़ ने धर्मस्थलों की जमीनों पर कॉलोनियां बसा दी हैं। जबकि पुरानी धर्मशालाओं के स्वरूप को नियम विरुद्ध खत्म कर या तो होटल बन गए हैं या अन्य व्यावसायिक कामों में उपयोग किया जा रहा है। वहीं कलेक्टर रूचिका चौहान ने कहा कि हमने SDM को मंदिरों की ज़मीन के कब्जों की जांच के लिए पत्र भेज दिए हैं, जांच के बाद जल्द ही जमीनों से कब्ज़े हटाएं जाएंगे।

आजादी के बाद ग्वालियर जिले के 865 मंदिरों को 4290 हेक्टेयर भूमि दी गई थी। इन जमीनों की निगरानी के लिए माफी औकाफ विभाग बनाया गया है, लेकिन विभाग ने मंदिरों की जमीनों पर ध्यान नहीं दिया। धीरे-धीरे राजस्व विभाग के अमले ने मंदिरों के खसरों में बदलाव कर दिए। 60 से 70 के दशक में जो जमीनें मंदिरों के नाम थीं, वह निजी दर्ज हो गईं। शहरी क्षेत्र की जमीनों में ज्यादा धांधली हुई है। अब देखना ये है की प्रशासन इस पर किस तरह का एक्शन लेता है।

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