कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। ग्वालियर नगर निगम का 130 करोड़ रुपए बकाया जलकर माफ करने का फैसला अधर में लटक गया है. मेयर और निगम कमिश्नर के बीच इस फैसले को लेकर ठन गई है. महापौर की MIC ने करीब एक महीने पहले कोरोना का हवाला देकर 2021 के पहले के सभी नल के बिल माफ करने का फैसला किया था, लेकिन अब निगम आयुक्त ने उस फाइल को वापस मेयर के पास वापस लौट दिया है. जबकि BJP पहले ही MIC के इस फैसले पर सवाल खड़े कर चुकी है.

ग्वालियर शहर के उपभोक्ताओं पर जलकर के बकाया 130 करोड़ रुपए माफ करने के लिए मेयर इन काउंसिल के द्वारा पास किए गए प्रस्ताव को नगर निगम आयुक्त किशोर कान्याल ने पुनर्विचार के लिए एमआइसी को वापस भेज दिया है. यह प्रस्ताव 25 नवंबर को एमआइसी की बैठक में पास कर महापौर डॉ. शोभा सिकरवार ने निगम परिषद को भेजा था. महापौर व एमआइसी सदस्यों का कहना है कि उन्होंने पूरी जांच पड़ताल के बाद लोगो के हित में आमजन को छूट देने का निर्णय लिया है. लेकिन आयुक्त ने कहा है कि यह फैसला शासन का होता है, ऐसे में इस प्रस्ताव को पुनर्विचार के लिए MIC को भेजा है.

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दरअसल ग्वालियर महापौर डॉ.शोभा सिकरवार ने निगम चुनाव में बकाया जलकर माफ करने का वादा किया था. इसलिए 2021 से पूर्व यानि की 2012 से 2021 तक के करीब 130 करोड़ रुपए बकाया जलकर माफ करने का प्रस्ताव तैयार किया गया. जिसे एफआइसी ने पास कर दिया है. इस पर आगामी परिषद की बैठक में चर्चा की जानी थी. इसके बाद स्वीकृति के लिए शासन को भेजा जाता, लेकिन आयुक्त ने उस फैसले को वापस लौटा दिया. आयुक्त के रिव्यू पर महापौर आक्रोशित है, उनका कहना है जो वायदा किया है,उसे निभा रही हूं. इसमें बाधा मत बनिए, प्रस्ताव को निगम परिषद में जाने दीजिए.

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वैसे ये तीसरी बार है, जब ग्वालियर में नल के बकाया बिलों को माफ करने का प्रस्ताव शासन के पास भेजा जाएंगा. क्योंकि इससे पहले भी दो बार भेजे जा चुके है, लेकिन शासन ने उसे मंजूरी नहीं दी थी. यही कारण है कि BJP से महापौर रहे औऱ वर्तमान में सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा है कि ऐसे प्रस्ताव व्यवहारिक रूप से सम्भव नहीं है.

  • 2005 में लगभग 5.6 करोड़ रुपए जलकर के बकाया थे. जिसे माफ करने का प्रस्ताव परिषद में पारित किया गया था. इसे स्वीकृति के लिए शासन को भेजा गया, लेकिन स्वीकृति नहीं मिली.
  • 2012 में भी जलकर की करीब 20 करोड़ की राशि को माफ करने के लिए प्रस्ताव पास कर शासन को भेजा गया, लेकिन उसे भी शासन ने खारिज कर दिया.
  • 2022 में महापौर शोभा सिकरवार ने एमआईसी से पास कर दिया है। आयुक्त के पास भेजा है. जिसे आयुक्त ने ही वापस कर दिया है. जिसमें हवाला दिया है कि जलकर में छूट देना शासन का निर्णय है. यदि परिषद में प्रस्ताव पास भी होता है. तो भी अंतिम निर्णय के लिए उसे शासन के पास ही भेजना पड़ेगा.

बहरहाल ग्वालियर में करीब 130 करोड़ की जल कर माफी का फायदा लोगों को मिल पाता है, या नहीं ये देखने वाली बात होगी.

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