कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। मध्यप्रदेश में “स्कूल चले हम” अभियान को मजबूती आखिर कैसे मिलेगी? यह सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं, क्योंकि ग्वालियर शहरी क्षेत्र में संचालित शासकीय प्राथमिक विद्यालय शरणार्थी स्कूल की तस्वीर ने सिस्टम की पोल खोल दी है. यहां पढ़ने वाले बच्चे हर रोज जिंदगी और मौत के बीच पढ़ने को मजबूर हैं. इसी के चलते आक्रोशित परिजनों और कांग्रेसी नेताओं ने स्कूल के बाहर ही धरना शुरू कर दिया.
छत से टपकता हुआ पानी. टूटे और जर्जर पिलर पर टिकी हुई छत के साथ ही स्कूल की दीवार के पास ही लगा गंदगी का अंबार पढ़ने वाले बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो है ही. इसके साथ ही कभी भी बिल्डिंग धराशाई हो जाने का खतरा बच्चों और उनके परिजनों को बना रहता है. यही कारण है कि ग्वालियर के हजीरा क्षेत्र में संचालित इस स्कूल के बाहर पढ़ने वाले बच्चों के परिजनों के साथ ही कांग्रेस पार्टी के प्रदेश महासचिव सुनील शर्मा सहित कांग्रेस नेताओं ने धरना शुरू कर दिया.
स्कूल की इस दुर्दशा को लेकर हो रहे प्रदर्शन की जानकारी जब प्रशासन तक पहुंची तो तत्काल जिला शिक्षा अधिकारी को मौके पर भेजा गया. मौके पर पहुंचे जिला शिक्षा अधिकारी ने जर्जर बिल्डिंग के साथ पास ही लगे गंदगी के अंबार को देखने के बाद नाराजगी जाहिर की और तत्काल में हेड मास्टर को इस संबंध में तलब किया. मौके पर मौजूद कांग्रेस नेताओं और छात्र छात्राओं के परिजनों ने जिला शिक्षा अधिकारी से मांग रखी कि तत्काल इस अव्यवस्था और दुर्दशा को दूर किया जाए.
ऐसे में आनन-फानन में ज्वाइंट डायरेक्टर शिक्षा विभाग से चर्चा के बाद फैसला लिया गया कि जर्जर बिल्डिंग के स्थान पर अन्य पास की किसी बिल्डिंग या स्कूल में ही शासकीय प्राथमिक विद्यालय शरणार्थी को शिफ्ट किया जाएगा. गौरतलब है कि स्कूली शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलने वाली इस तस्वीर के साथ प्रदेश भर के उन शासकीय विद्यालय की अव्यवस्था और दुर्दशा की ओर भी इशारा किया है. जिनकी हालात भी इस सरकारी स्कूल की तरह ही है.
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