कर्ण मिश्रा,ग्वालियर/नीलम राज शर्मा,पन्ना। मध्य प्रदेश के ग्वालियर (Gwalior) के घाटीगांव एसडीओपी संतोष पटेल (SDOP Santosh Patel) पुलिस विभाग में कुछ नया कर गुजरने वाले जज्बे के साथ काम कर रहे हैं. संतोष पटेल का अपराधियों से निपटने के सख्त रवैया और जनता के प्रति स्नेह और जागरूक करने वाला भाव लोगों को खूब भा रहा है. संघर्षों से जूझकर संतोष पटेल पहले फॉरेस्ट गार्ड बने, फिर वह एसडीओपी बन गए. संतोष पांच साल बाद पहली बार वर्दी पहनकर अपने गांव में गए. खेत में काम करती मां के साथ संतोष की आत्मीय बातचीत हुई. इस बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. 48 घंटे में 80 लाख लोगों ने SDOP और उनकी मां की बातचीत का वीडियो देखा है. लाखों लोगों ने लाइक कर कमेंट्स लिखें हैं.
अजयगढ़ के देवगांव में गरीब किसान के बेटे ने डीएसपी बनकर अपने माता-पिता के साथ अपने जिले का नाम तो रोशन किया है. संतोष पटेल इन दिनों अपने नवाचार के लिए लगातार सुर्खियों में है. संतोष 3 दिन पहले सतना में अमित शाह के दौरे पर ड्यूटी करने गए थे. लौटते वक्त संतोष वर्दी में ही अपने गांव पन्ना जिले के देवगांव पहुंचे. घर पर मां नही थी, तो संतोष उनसे मिलने खेत पर पहुंच गए. वर्दी में संतोष और उनकी मां के बीच अपनी देशी भाषा में आत्मीय बातचीत हुई. संतोष ने इस बातचीत का वीडियो फेसबुक पर पोस्ट किया है.
पैतृक गांव देवगांव में मां कोल्हू बाई पिता जानकी पटेल रहते है. महज 2 एकड़ जमीन एक छोटा सा मकान में आज भी माता पिता रहते है. माता पिता को कई बार अपने पास बुलाना चाहा लेकिन मां बाप ने अपनी मातृ भूमि को नहीं छोड़ा. अपने माता पिता की खुद्दारी पर डीएसपी संतोष पटेल को भी गर्व है. जिसे डीएसपी ने उन बीते लम्हों को अपनी कामयाबी के साथ खुद शेयर किया है.
वीडियो में बातचीत के दौरान दोनों के बीच कुछ इस तरह बात हुई. “अम्मा खेत म गुड़ाली छुवालत. मैं कैहौं कि आराम से रहो कर अब य काम करैं कै जरूरत निहाय, तौ बोली महतारी_ कै ममता नहीं मानत याय, अपने बेटन का 2 रुपिया जोड़य चाहत ही. पढ़ाई करो चाहिए कहे से नौकरी राजा चीज होत ही, पढ़े से राज गद्दी मिलत ही.”
इस वीडियो को सोशल मीडिया पर पसंद करने और उससे सीख लेने पर SDOP संतोष कहते है कि “कभी मुंह से डांटा, कभी डंडे से पीटा कभी नींबू के पेड़ से बांधा, अनपढ़ थी लेकिन पढ़ाई के माहौल में बांधकर रखा. जमीन, जायदाद और नेता विधायक सब फेल हैं सरकारी नौकरी के आगे. किसी को मेहनत की कोचिंग लेना हो तो देवगाँव में बिना फीस की मेरी अम्मा से अमृत आशीष ले सकता है. सुनें शायद आपको अच्छा महसूस होगा, क्योंकि प्रत्येक माँ बच्चों के लिए कुछ न कुछ जोड़कर रखना चाहती है.”
गौरतलब है कि संतोष पटेल का बचपन संघर्ष में बीता है. पन्ना जिले के देवगांव के रहने वाले संतोष गांव के ही सरकार स्कूल में पढ़ते थे, पढ़ाई के साथ साथ संतोष को अपने पिता के साथ पत्थर तोड़ना, जंगल मे पौधे लगाना, तेंदूपत्ता संग्रहण में हाथ बंटाना पड़ता था. इसके बाद उत्कृष्ट विद्यालय पन्ना में दाखिला लिया. यहां 10वीं 12 वीं की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद IIT पास कर भोपाल से सिविल इंजीनियरिंग का कोर्स पूर्ण किया.
साल 2015 में संतोष ने कसम खा ली कि “जब तक लाल बत्ती वाली नौकरी नहीं मिलेगी मैं अपनी दाढ़ी नहीं बनाऊंगा”. गांव वाले इस बात को लेकर संतोष को ताने भी देते थे. इसी बीच संतोष को वन रक्षक की नौकरी मिल गई. वन रक्षक की नौकरी के दौरान अपनी जिद पूरा करने के लिए पढ़ाई जारी रखी. आखिर में साल 2018 में संतोष का चयन उप पुलिस अधीक्षक के पद पर हो गया है. ये खबर सुनकर संतोष के परिवार के साथ पूरा गांव खुशियां मना रहा था.
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