कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। संगीतधानी ग्वालियर में सोमवार को एक इतिहास लिखा गया। जहां एक साथ 1282 तबला वादकों ने ऐतिहासिक किले पर “ताल दरबार” कार्यक्रम के जरिये एक साथ अपनी ऐसी ताल ठोकी की गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड बन गया। गिनीज टीम ने कार्यक्रम के मुख्यातिथि सीएम डॉ मोहन यादव को रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट प्रदान किया। इस गौरवशाली पल को देखते हुए अब हर साल 25 दिसंबर का दिन तबला दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसका ऐलान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने किया है।
कर्ण महल परिसर में आयेजित हुए कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के साथ ही कैबिनेट मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भी मौजूद रहे। CM ने इस मौके पर कहा कि ग्वालियर को संगीत नगरी का तमगा यूनेस्को से मिला है, ऐसे में ताल दरबार कार्यक्रम के जरिये जो रिकॉर्ड आज बना है, वो इस ऐतिहासिक नगर को एक नई पहचान देगा, सिंधिया राजवंश और तोमर राजवंश ने ग्वालियर में संगीत के क्षेत्र बहुत काम किया है। यही वजह है कि इस मौके को लोग हमेशा याद रखे इसके लिए 25 दिसंबर अब तबला दिवस के रूप में जाना जाएगा।
सुर सम्राट तानसेन की नगरी ग्वालियर में अपराजेय भारतीयता के विश्वगान राष्ट्रगीत वंदे मातरम की धुन पर “ताल दरबार” ने मध्यप्रदेश के संगीत को एक वैश्विक पहचान दिलाई। यूनेस्को द्वारा चयनित संगीत नगरी में राष्ट्रीयता का उद्घोष करते हुए 1300 से अधिक संगीत साधकों ने प्रदेश की ऐतिहासिकता, सांस्कृतिकता और संगीत की त्रिवेणी को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करा दिया।
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