एनके भटेले, भिंड। हैकर्स ने एमपी पुलिस (Madhya Pradesh Police) का डाटा हैक करने की कोशिश की है। हैकर्स ने फेमस क्लाउड डेटा शेयरिंग वेबसाइट के माध्यम से डाटा पर सेंध लगाने की कोशिश की है। इसकी जानकारी मिलते ही PHQ ने अलर्ट जारी किया है। किसी भी अनजाने लिंक को क्लिक या शेयर नहीं करने की चेतावनी दी है।
दरअसल पुलिस हेड क्वार्टर भोपाल से हाल ही में सभी जिलों में पुलिस को अलर्ट नोटिफिकेशन जारी किया गया था। जिसमें बताया गया कि drpb0x.com नाम की वेबसाइट से पुलिस विभाग की ओर से जारी किए गए ईमेल एड्रेस पर ई-मेल भेजे जा रहे हैं। जिनमें Call – CDR और IMEI analysing के लिए सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने संबंधी लिंक उपलब्ध कराए गए हैं। यदि कोई गलती से भी इन लिंक पर सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने के लिए क्लिक करता है तो संबंधित डाटा सर्वर हैकर्स को शेयर हो जाएगा।
भिण्ड एसपी शैलेंद्र सिंह चौहान (Bhind SP Shailendra Singh Chauhan) ने बताया कि आम तौर पर समय-समय पर पुलिस मुख्यालय द्वारा साइबर से संबंधित एडवायजरी जारी होती रहती है। इसी तरतम्य एक भोपाल पीएचक्यू से एक नोटिफिकेशन जारी हुआ है। जिसमें ड्रॉपबॉक्स.com से संबंधित ईमेल से अलर्ट रहने के निर्देश हैं। आम टूल ओएफ ड्रॉपबॉक्स का उपयोग हम डेटा शेयरिंग के लिए करते हैं। ऐसे में वह डेटा किसी अनधिकृत व्यक्ति के पास न चली जाए इस बात को लेकर जानकारी दी गई है।आम लोगों को भी इस तरह के ई-मेल से सतर्क रहना चाहिए, जिससे वह किसी भी साइबर ठगी से सरक्षित रह सके।
मैलवेयर सॉफ्टवेयर का कर रहे इस्तेमाल
इस काम के लिए मैलवेयर सॉफ्टवेयर ( Malware Software) का उपयोग होता है। मैलवेयर एक तरह का सॉफ्टवेयर है, जिसे हैकर्स आमतौर पर इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि यह सबसे आसान तरीका होता है। खास कर इंटरनेट के ज़माने में जब हर कोई इंटरनेट का उपयोग कर रहा है। मैलवेयर को किसी भी कम्प्यूटर या स्मार्टफोन में अपलोड करना काफी आसान काम है।हैकर्स इसके लिए ईमेल,लिंक्स,फोटोज, वीडियो जैसी चीज़े भेजते है जिन्हें क्लिक करते ही मैलवेयर आपके ऑपरेटिंग सिस्टम में पहुँच जाता है।और सम्बंधित का पूरा डेटा हैकर को शेयर करदेता है, जिसके बाद वह जैसे चाहे उसका इस्तेमाल कर सकता है।आज ‘ ट्रोजन ‘ सबसे ज्यादा खतरनाक और अधिक इस्तेमाल किये जाने वाला मैलवेयर माना जाता है।
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वेबसाइट की वेब एड्रेस में मामूली बदलाव कर करते हैं शिकार
लगातार जागरूकता कार्यक्रमों और समाचारों से लोग इस तरह के साइबर अपराधों से अलर्ट हैं। बावजूद इसके फंस जाते हैं। साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक इस तरह के ईमेल भेजने के लिए फेक प्रोफाइलिंग की जाती है, यानी हैकर्स सबसे आसान और इस्तेमाल होने वाली वेबसाइट की वेब एड्रेस में मामूली बदलाव कर डूप्लिकेट एड्रेस उपयोग किया जाता है।जिस पर किसी का ध्यान नही जाता, उदाहरण के लिए फेमस क्लाउड डेटा शेयरिंग वेबसाइट है dropbox.com लेकिन हैकर इसमे बदलाव कर ‘ 0 ‘ की जगह ‘ 0 ‘ लिख कर dropb0x.com नाम की हूबहू वेबसाइट बना कर लोगों को झांसा दे देते हैं।और वे इसके लिए proxy server का इस्तेमाल करते है, जिसकी वजह से उन्हें पकड़ना भी आसान नहीं होता।
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