पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) ने अपने संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए 11 नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर यह कदम उठाया गया है। शुक्रवार की शाम HAM के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव राजेश कुमार पांडेय ने इस संबंध में एक आधिकारिक पत्र भी जारी किया।
अनुशासन के खिलाफ काम कर रहे थे
पत्र में स्पष्ट किया गया है कि निष्कासित किए गए सभी नेता पार्टी की नीतियों और अनुशासन के खिलाफ काम कर रहे थे। इस वजह से उन्हें उनके पदों और प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित किया गया है। पार्टी ने यह भी कहा कि यह कार्रवाई संगठन की साख बनाए रखने और चुनावी अभियान को बाधित होने से बचाने के लिए जरूरी थी।
इन लोगों पर की गई कार्रवाई
निष्कासित नेताओं में बिहार प्रदेश संगठन प्रभारी राजेश रंजन, राष्ट्रीय सचिव रितेश कुमार उर्फ चुन्नु शर्मा, राष्ट्रीय सचिव श्रवण भूईयां, राष्ट्रीय सचिव और सह प्रवक्ता नंदलाल मांझी, प्रदेश महासचिव चंदन ठाकुर, प्रदेश प्रवक्ता शैलेन्द्र मिश्रा, सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष शिव कुमार राम, पूर्णिया जिलाध्यक्ष राजेंद्र यादव, मुजफ्फरपुर कार्यकारी जिलाध्यक्ष बैजु यादव, साथ ही मंजू सरदार और बीके सिंह शामिल हैं।
नीतियों का पालन नहीं कर रहे थे
HAM के अनुसार ये सभी नेता पार्टी के निर्देशों और नीतियों का पालन नहीं कर रहे थे और संगठन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा दे रहे थे। पार्टी नेतृत्व ने यह साफ कर दिया कि किसी भी स्तर पर अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
पार्टी की छवि पर डाल सकता था असर
विशेष रूप से चुनाव के समय यह कदम संगठन की एकता और चुनावी रणनीति को मजबूत करने के उद्देश्य से लिया गया है। पार्टी का मानना है कि चुनाव के दौरान किसी भी तरह का गुटबंदी या अनुशासनहीन व्यवहार उम्मीदवारों और पार्टी की छवि पर असर डाल सकता है। इसलिए, यह कार्रवाई संगठन को अनुशासन और स्थिरता प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
सख्त निर्णय लिया गया
HAM ने यह भी संदेश दिया है कि संगठन में नियमों और नीतियों का पालन करना हर सदस्य के लिए अनिवार्य है। किसी भी सदस्य द्वारा उल्लंघन किए जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी, चाहे वह नेता किसी भी पद पर हो। इस कार्रवाई से पार्टी में स्पष्ट संदेश गया है कि HAM में अनुशासन और संगठनात्मक नियमों का उल्लंघन किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है। आगामी विधानसभा चुनाव में यह कदम पार्टी के लिए अनुशासनपूर्ण और मजबूत चुनावी अभियान सुनिश्चित करने में सहायक माना जा रहा है। निष्कासित नेताओं की सूची में शामिल अधिकांश नाम पार्टी में लंबे समय से सक्रिय रहे हैं और कई वरिष्ठ पदों पर कार्य कर चुके हैं। बावजूद इसके, उनके अनुशासनहीन व्यवहार को देखते हुए यह सख्त निर्णय लिया गया।
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें

