अजमेर. राजस्थान के अजमेर में स्थित प्रसिद्ध सेवन वंडर्स पार्क की ध्वस्तीकरण प्रक्रिया तेज हो गई है। शुक्रवार से शुरू हुए इस अभियान के तीसरे दिन रविवार को मजदूरों ने छेनी-हथौड़ों के साथ ताजमहल की प्रतिकृति पर चढ़कर एक-एक पत्थर तोड़ना शुरू कर दिया।
बुलडोजर और जेसीबी मशीनों की मदद से पार्क के अवशेष हटाए जा रहे हैं, जबकि प्रशासनिक टीमें और भारी संख्या में पुलिस बल तैनात हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पार्क को वेटलैंड नियमों का उल्लंघन मानते हुए 17 सितंबर तक पूरी तरह हटाने का आदेश दिया है।

यह पार्क अजमेर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 2022 में बनाया गया था, जिसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था। लगभग 11.64 करोड़ रुपये की लागत से विकसित यह पार्क पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय था, जहां ताजमहल, एफिल टावर, पीसा की मीनार, गीजा का पिरामिड, कोलोजियम, क्राइस्ट द रिडीमर और स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी जैसी विश्व धरोहरों की प्रतिकृतियां स्थापित की गई थीं। यहां न केवल पर्यटक आकर्षित होते थे, बल्कि शादियों की शूटिंग भी आयोजित होती थी। हालांकि, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की प्रतिकृति को पहले ही हटा दिया गया है। मामला 2023 में तब सामने आया जब स्थानीय निवासी अशोक मलिक ने सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में याचिका दायर की।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह पार्क आना सागर झील के डूब क्षेत्र में अवैध रूप से बनाया गया है, जो पर्यावरण नियमों और मास्टर प्लान का स्पष्ट उल्लंघन है। एनजीटी ने 2022 के अंत में तोड़फोड़ का आदेश दिया, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2025 में इसे दोहराते हुए छह महीने की समयसीमा तय की। अदालत ने राज्य सरकार की रिमॉडलिंग की मांग को खारिज कर दिया और कहा कि स्मार्ट सिटी का दावा पर्यावरण संरक्षण के बिना खोखला है।
अजमेर डेवलपमेंट अथॉरिटी (एडीए) ने सुप्रीम कोर्ट को शपथ-पत्र देकर 17 सितंबर तक पार्क हटाने का आश्वासन दिया है। इस प्रक्रिया से अजमेर को एक प्रमुख पर्यटन स्थल खोना पड़ रहा है, लेकिन पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से यह कदम जरूरी माना जा रहा है। स्थानीय प्रशासन ने मीडिया को साइट पर प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है, और जांच के दौरान प्रभावित वेटलैंड को बहाल करने की योजना पर काम चल रहा है।
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