रायपुर. कहते हैं जहां चाह होती है, वहां राह निकल आती है. यह उक्ति रायगढ़ जिला के धरमजयगढ़-खरसिया मार्ग पर स्थित ग्राम मुनंद में रहने वाले 9 साल के दिव्यांग गोविंद पर सटीक बैठती है, जिसे विकलांगता सर्टिफिकेट नहीं होने के कारण ट्राइसिकल नहीं मिल पा रही थी. नवनियुक्त मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक मासूम की आवाज पहुंची और एक ही दिन में न केवल उसका विकलांगता सर्टिफिकेट बन गया, बल्कि उसकी सहुलियत को ध्यान में रखते हुए ट्राइसिकल की जगह हाथों-हाथ व्हीलचेयर दे दिया गया.

हाथ-पैर नहीं होने की वजह से तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले मासूम गोविंद को उसके दादा घासीराम गोद में स्कूल लाते-ले जाते हैं, वहीं पेन के गिर जाने पर उसके साथी उसके मुंह में पेन रख देते हैं, जिससे वह लिख सके. गोविंद ने बताया कि स्कूल में उसकी मौखिक परीक्षा होती है, जिसमें वह हर बार पास होता है.

गोविंद ने समाचार पत्र के जरिए अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि उसके पिता कृष्ण कुमार राठिया मजदूरी करते हैं, वहीं उसकी मां उसके कारण मजदूरी करने नहीं जा सकती है. स्कूल में खाने की छुट्टी के दौरान उसके दादा उसे खाना खिलाते हैं, फिर छुट्टी होने तक वो मेरे स्कूल के बाहर बैठे रहते हैं, क्योंकि उन्हें ही गोद में लेकर उसे घर ले जाना होता है.

गोविंद ने बताया कि उसका वजन बढ़ने से दादाजी उसे उठाते हुए थक जाते हैं, जिसकी वजह से उसे ट्राइसिकल की जरूरत महसूस होती है, लेकिन विकलांगता सर्टिफिकेट नहीं होने की वजह से उसे ट्राइसिकल नहीं मिल पा रहा है. उसकी इस परेशानी को जानने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संबंधित अधिकारी को आदेश दिया. नतीजा एक दिन में न केवल गोविंद का विकलांगता सर्टिफिकेट बन गया, बल्कि ट्राइसिकल चलाने में होने वाली दिक्कत को देखते हुए उसे व्हील चेयर दिया गया. अब गोविंद आसानी से स्कूल आ-जा सकेगा.