दिनेश कुमार द्विवेदी, मनेंद्रगढ़। जिला मुख्यालय में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां एक दिव्यांग शिक्षक ने अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के समीप पिंडदान कर विरोध जताया है. इसे भी पढ़ें : महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव की कमान संभालेंगे छत्तीसगढ़ के 21 आईएएस, हफ्तेभर में करना है रिपोर्ट…
दिव्यांग शिक्षक पवन दुबे ने बताया कि 24 सितंबर को उनके पिता का देहांत हो गया था. पिता के अंतिम संस्कार के बाद उन्हें कहीं आना-जाना मना था. इसी बीच शिक्षक ने छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक को पत्र लिखकर अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए लिए गए लोन की मासिक किस्त की कटौती सितंबर माह में अगले महीने की जाए.
लेकिन बैंक के प्रबंधक ने दिव्यांग शिक्षक के पत्र को नजरअंदाज कर वेतन काट लिया. ऐसी स्थिति ने दिव्यांग शिक्षक के लिए अपने पिता का शेष कार्यक्रम संपन्न कराना मुश्किल हो गया. मानसिक और सामाजिक लाचारी के चलते शिक्षक पवन दुबे ने नाराज होकर बैंक के सामने अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए मुंडन करवाया, और वहीं पिंडदान भी किया.
इस संबंध में जब बैंक के शाखा प्रबंधक से जानकारी लेनी चाही गई, तो उन्होंने कुछ भी कहने से स्पष्ट रूप से इनकार करते हुए उच्चाधिकारियों से बात करने की सलाह दी. सवाल यह है कि ग्राहक की परेशानियों को नजरअंदाज कर की गई अमानवीय कार्रवाई क्या जायज थी.
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