पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद. मैनपुर तहसील के सिहारलटी पंचायत के गोहटीमुडा में 13 साल पहले लाल पानी की वजह से हैंडपम्प में बन्द कर दिया गया, लेकिन अब तक उसके स्थान पर दूसरा हैंडपंप नहीं लगाया गया. ऐसे स्थिति में ग्रामीणों के लिए नेपाल मांझी का खेत वरदान बन गया है, जहां झरिया बनाकर पीने का पानी भरते हैं.

पीने के लिये साफ पानी का अधिकार किस तरह से छीन लिया गया उसका जीता जागता उदाहरण बन गया है सिहारलटी पँचायत का वार्ड क्रमांक 1. वार्ड के पंच मेघनाथ प्रधान ने बताया कि उनके वार्ड में 150 से भी ज्यादा लोग रहते हैं, पीने के लिये पानी की कोई बेहतर व्वस्था नहीं है इसलिए आज भी वे समस्या को पारम्परिक ब्यवस्था का नाम देकर झेल रहे है. प्रधान ने बताया कि नेपाल मांझी का खेत गहराई में है, 8 फीट गहराई के बाद यहां पानी निकलना शुरू हो जाता है.

फरवरी से खोदने लगते हैं झरिया

पिछले 13 साल से गर्मी के दिनों में पूरा वार्ड इसी खेत पर पीने के पानी के लिये निर्भर है. वार्ड 2 की दूरी 1 किमी है, वहां एकमात्र हैंडपम्प है, गर्मी के दिनों में बोझ बढ़ जाता है, दूसरे वार्ड के होने के कारण वहां का पानी ले जाना यानी विवाद को बढ़ाना होता है. झंझट से बचने नेपाल के खेत मे हर साल फरवरी से झेरिया खोदना शुरु कर देते हैं. अभी 3 झेरिया खोदा गए हैं, जिस पर पूरा मोहल्ला निर्भर है. निस्तारी के लिए 3 किमी दूर मुख्य बस्ती जाना पड़ता है. महिलाएं नहीं जा पाती इसलिए झेरिया के पानी पर ही निर्भर होती है.

4 साल में 11 बार आवेदन लेकिन…

पंच मेघनाथ ने बताया कि पिछले 4 साल में 11 बार से ज्यादा आवेदन मंत्री से लेकर अफसर तक को कर चुके हैं, लेकिन उनकी समस्या पर किसी ने सुध नहीं ली, इसलिए झेरिया को वरदान व समस्या को परम्परा बना कर मजबूरी में झेल रहे हैं. मामले में विभाग के इंजीनियर गोपाल ध्रुव ने तत्काल जानकारी लेने की बात कही. अभी तक जानकारी में नहीं थी. उस इलाके में विभाग की बोरवेल मशीन चल रहा है. अफसरों से अनुमति लेकर तत्काल पम्प खुदवाने की ब्यवस्था कर रहा हूं.