Hanuman Jayanti Special: प्रदीप गुप्ता, कवर्धा. कबीरधाम जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर मैकल पर्वत पर विराजमान भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से मशहूर है. यहां हनुमान जी का अनोखा मूर्ति है. बताते हैं कि पुराना बेल के पेड़ से हनुमान जी प्रगट हुए हैं. बजरंगबली के दाएं हाथ में शिवलिंग है, जो बहुत ही अनोखा है. यहां जो भी मन्नते मांगते है बजरंग बली उसकी मुराद को पूरा करता है.

भोरमदेव मंदिर के पुजारी आशीष पाठक ने बताया, भोरमदेव मंदिर को 11वीं शताब्दी में छह माह की रात में बनाया गया था, जो देश और विदेशों में ख्याति प्राप्त है. वहीं भोरमदेव मंदिर के प्रांगण में एक हनुमान मंदिर है. यहां जैसी प्रतिमा कहीं भी नहीं है. पुराना बेल के पेड़ से हनुमान जी प्रगट हुए हैं और बजरंगबली के दाएं हाथ में शिवलिंग है. ज्यादातर लोगों को बजरंग बली के हाथ में शिवलिंग होने की जानकारी नहीं है. जिन्हें जानकारी है उसका महत्व श्रद्धालु लोग जानते हैं. इस मंदिर में जो भी मन्नते मांगते हैं बजरंग बली उसकी मुराद को पूरा करता है.

खेड़ापति मंदिर

शहर में आज निकलेगी हनुमान जी की शोभायात्रा

हुनमान जयंती पर आज भोरमदेव मंदिर के प्रांगण के बजरंग बली का विशेष श्रंगार किया गया है और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना की जा रही. साथ ही जिले के खेड़ापति मंदिर के साथ सभी हनुमान के मंदिरों में सुबह से हनुमान जयंती धूमधाम के साथ मनाई जा रही है. मंदिरों में सुबह से हनुमान चालीसा, सुंदर कांठ, राम स्त्रोत की पाठ की जा रही है. वहीं आज शहर के खेड़ापति हनुमान मंदिर से विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी, जिसकी तैयारी में हनुमान भक्त जुटे हुए हैं.

जानिए प्रतिमा का इतिहास

जिला पुरातत्व समिति के सदस्य आदित्य कुमार श्रीवास्तव ने बताया, 11वीं सदी की सिद्धपीठ भोरमदेव में मुख्य मंदिर के दक्षिण में 1200 वर्ष प्राचीन हनुमान जी की प्रतिमा विराजमान हैं. इस मूर्ति की विशेषता है कि इनके दाहिनी हथेली में शिवलिंग है, जो दुर्लभ है. हनुमान जी पैरों के नीचे कालनेमि को दबाए हुए हैं. यह उस समय का दृश्य है जब लंका युद्ध के समय शिवलिंग पूजन के लिए हनुमान जी को शिवलिंग लाने श्रीराम कैलाश भेजते हैं, जिसे लेकर हनुमान जी आते हैं. इस मूर्ति को संकटमोचन और मनोकामना हनुमान जी के रुप में मानते हैं, क्योंकि औघड़ दानी शिवलिंग उनके हाथों में और संकटमोचन हनुमान जी स्वयं अर्थात रूद्र और रुद्रावतार दोनों साथ हैं. यह बेहद आकर्षक प्रतिमा है, जिससे नजरें नहीं हटती है.

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