सुबह की शुरुआत सामान्यत: सूर्योदय के साथ होती है. लेकिन अयोध्या वो जगह है जहां सुबह की शुरुआत सूरज उगने से नहीं बल्कि हनुमानगढ़ी के शिखर से बजने वाले हनुमान जी के भजनों से होती है. जो अयोध्या की आत्मा को जागृत करती है. पूरे अयोध्या में सबसे पहले हनुमान जी को ही जगाया जाता है. जिसके बाद ही अन्य मंदिरों के पट खुलते हैं. यहां तक की हनुमंत लाल के आराध्य भगवान श्रीरामभद्र जी के मंदिर के कपाट भी इनके बाद ही खुलते हैं.

तड़के तीन बजे से ये हनुमान जी की जगाने की प्रक्रिया शुरू होती है. 6 पुजारियों का दल रोजाना विधि करने के बाद हनुमान जी को जगाते हैं. इसके लिए मंदिर में ‘हनुमान गुणगान’ के स्वर गूंजते हैं. जिससे सारी रामनगरी गूंजायमान होती है. ये परंपरा 1940 से निरंतर चली आ रही है.

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जब गहरी नींद में होता है शहर तब जागते हैं बजरंगबली

जब पूरा शहर गहरी नींद में होता है तब पुजारीगण भजनों की स्वर-लहरियों के साथ जागरण आरंभ करते हैं और फिर अयोध्या के अन्य मंदिरों में दीप जलते हैं. शंखनाद के साथ अयोध्या में सुबह की शुरुआत होती है. पुजारियों की मानें तो ब्रह्म मुहूर्त में जब देव शक्तियां जाग्रत होती हैं. उस समय हनुमान जी का स्मरण करना अत्यंत फलदायी होता है. स्थानीय लोगों का मानना है कि हनुमान जी की दिव्य उपस्थिति अयोध्या के वातावरण को सात्विक ऊर्जा से भर देती है.