चंद्र दर्शन हिंदु धर्म में काफी महत्व रखता है क्योंकि चद्रंमा को देवता समान माना जाता है। चंद्र दर्शन का अर्थ चन्द्रमा का दर्शन करना। यह भारत में बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इसे चंद्र दर्शन इसलिये कहा जाता है क्योंकि इसे अमावस्या के बाद देखा जाता है।
क्या करते हैं इस दिन
हिंदू धर्म में चंद्र दर्शन एक बहुत ही आवश्यक महत्व रखता है। इस दिन का एक धार्मिक महत्व है। इस विशेष दिन भगवान चंद्रमा की पूजा पूरी श्रद्धा के साथ की जाती है। हिंदू धर्म के अनुसार इस विशेष दिन पर चंद्रमा का दर्शन करना बहुत ही फलदायी होता है। साथ-ही-साथ इसे भाग्यशाली और समृद्धि का घोतक भी माना जाता है।
चंद्र दर्शन को हिंदुं धर्म में भगवान चंद्रमा की तरह माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा की पूजा करने से घर में सुख-शांति व स्मृद्धि आती है और अन्य देवता भी प्रसन्न होते हैं। भगवान चंन्द्रमा की पूजा घर में सफलता और सौभाग्य लाती है।
चंद्र दर्शन के दौरान पूजा विधि
चन्द्र दर्शन 2023 चंद्र दर्शन के दिन, हिंदू भक्त चंद्रमा भगवान की पूजा करते हैं। भक्त इस दिन चंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए कठिन उपवास करते हैं। वे दिन भर कुछ भी नहीं खाते या पीते हैं। चंद्रमा के सूर्यास्त के बाद दर्शन करने के बाद ही उपवास तोड़ा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति चंद्र दर्शन के दिन चंद्रमा भगवान की सभी अनुष्ठान पूजा करता है, उसे अनंत सौभाग्य और समृद्धि के साथ पूजा की जाएगी। दान देना भी चंद्र दर्शन पर एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। लोग इस दिन ब्राह्मणों को कपड़े, चावल और चीनी का दान करते हैं।
चंद्र दर्शन के मुहूर्त
चंद्र दर्शन के लिए शाम को 7 बजकर 20 मिनट से 8 बजकर 39 मिनट तक शुभ समय रहेगा। यानी कि 1 घंटा 19 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा।
चन्द्र दर्शन के लाभ
चन्द्र दर्शन 2023 दृ चंद्र दर्शन का दिन चंद्रमा-देवता से विशेष उपकार पाने के लिए होता है। भक्त कठोर व्रत और तपस्या करके देवता की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दिन पूजा अर्चना करते हैं, उन्हें सौभाग्य, समृद्धि और बुद्धि प्राप्त करने का लाभ मिलता है। पवित्र और शक्तिशाली चंद्र मंत्रों के जाप के बाद उपवास करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान और अनुग्रह प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। नकारात्मक ऊर्जा को छोड़ने के लिए चंद्र यंत्र की पूजा करके विशेष लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस दिन ब्राह्मणों को कपड़े, चावल और चीनी का दान करने से अच्छा शगुन आकर्षित होता है।
चंद्र दर्शन से संबंधित अनुष्ठान
महिलाएं खास तौर पर इस दिन व्रत रखती हैं ताकि अपने पति और बच्चों की लंबी उम्र के लिये ईश्वर का आशीर्वाद मिल सके। इस विशेष दिन पर हिंदू चंद्रमा देव की पूजा पूरी श्रद्धा के साथ की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता हैं।
इस दिन भक्त विशेष तौर पर चंद्र देव जी को प्रसन्न करने के लिए पूरे मन से उपवास रखा जाता है। उपवास के दौराना भक्त पूरे दिन किसी भी प्रकार का भोजन ग्रहण नहीं करते हैं। चांद दिखने के बाद ही उपवास समाप्त किया जाता है और साथ ही पूरी श्रद्धा भाव के साथ प्रार्थना की जाती हैं
ऐसा माना जाता है चंद्रमा की पूजा करना बहुत ही अधिक शुभ होता है और घर में सौभाग्य और समृद्धि लेकर आती है। इस खास दिन पर दान देने को बहुत ही अधिक अच्छा माना जाता है। इसके साथ ही ब्राह्मणों को चीनी,चावल और कपड़े दान करना और भी अधिक अच्छा माना जाता हैं।
चन्द्र दर्शन का महत्व
चांद को देवता समान उपाधि दी गई है। इसके अतिरिक्त चंद्रमाको नौ ग्रहों में से एक बहुत ही विशेष माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा का पृथ्वी पर मनुष्यों जीवन पर एक बहुत ही विशेष प्रभाव होता है। चंद्र दर्शन करने से और इस दिन व्रत करने से सभी प्रकार की नकारात्मकता से छुटकारा मिलता है। जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
इस विशेष दिन पर भगवान चंद्रमा की पूजा करने से भक्तों के जीवन में पवित्रता और ज्ञान का अद्भुद् संचार होता है। जीवन में नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है। व्रत के दौरान शक्तिशाली चंद्र मंत्रों का जाप किया जाता है ताकि अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सके।
स्वास्थय के लिये भी लाभदायक
चंद्र दर्शन का ना केवल धार्मिक महत्व होता है बल्कि यह शरीर को स्वस्थ रखने में भी सहायक है। ऐसा कहा जाता है इस दिन उपवास रखने से मानव शरीर में कप,पित्त और वात के तत्वों को एक अच्छा संतुलन पैदा होता है ताकि रोग ना हो। यानि चंद्र दर्शन स्वास्थय के संबंध में भी काफी लाभदायक है।
चंद्र दर्शन की पूजा कैसे करें
चंद्र दर्शन वाले दिन चंद्र देवता की पूजा करने के लिए सबसे पहले शाम के समय स्नान करें और उसके बाद चंद्र देवता को दूध एवं शुद्ध जल से अर्घ्य दें. इसके बाद चंद्र देवता को धूप-दीप आदि से पूजा करें और गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाएं. चंद्र देवता की कृपा पाने के लिए चंद्र दर्शन की पूजा में उनके
मंत्र ‘ॐ सों सोमाय नमरू’ अथवा चंद्र गायत्री मंत्र ‘ॐ भूर्भुवरू स्वरू अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्’ का अधिक से अधिक जप करें.