रायपुर. अबूझमाड़ क्षेत्र में सर्वे न होने की वजह से किसानों की जमीन का राजस्व रिकॉर्ड में कहीं कोई उल्लेख नहीं था. इस वजह से किसी भी शासकीय योजना का लाभ नहीं मिल पाता था, लेकिन आज अबूझमाड़ क्षेत्र के 1121 किसानों के चेहरे पर उस वक्त खुशियां बिखर गईं जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छोटेडोंगर में भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में किसानों को मसाहती पट्टा का वितरण किया.

अबूझमाड़ के किसान मसियाराम कोड़े बताते हैं कि बारिश हो जाए तो ठीक वरना भगवान भरोसे ही अब तक खेती करते थे. खेत में पंप न होने की वजह से सिंचाई की सुविधा नहीं है, लेकिन अब पट्टा मिल गया है तो जल्द ही खेत में सोलर पंप लग जाएगा. उनके साथ ही अन्य किसानों का भी केसीसी बन जाने से अब वे सभी खेती के लिए लोन ले पाएंगे. मसियाराम ने बताया कि अब तक खुले बाजार में 10 से 15 रुपए में धान बेच देते थे, लेकिन अब सोसायटी में पंजीयन हो जाएगा और समर्थन मूल्य पर धान बेच पाएंगे.

16 गांवों में सर्वे का काम पूरा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर अबूझमाड़ क्षेत्र के गांवों में राज्य सरकार द्वारा प्राथमिकता के साथ सर्वे का काम तेजी से किया जा रहा है. नारायणपुर के ओरछा विकासखंड में 16 गांव हैं, जहां राजस्व सर्वेक्षण का कार्य पूरा हो चुका है. यहां किसानों को मसाहती पट्टों का वितरण किया गया है. अब इन किसानों को शासन की योजनाओं का लाभ भी मिलने लगेगा. किसानों को केसीसी का वितरण भी किया गया, जिससे वे अब बैंक से लोन भी ले पाएंगे.

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अब मिलेगा शासकीय योजनाओं का लाभ
मसाहती पट्टा मिलने के बाद अबूझमाड़ के किसानों को शासकीय योजनाओं का लाभ मिलने लगेगा. सोसायटी में पंजीयन हो सकेगा और धान बेच पाएंगे. किसानों के खेत में अब डबरी निर्माण, सिंचाई के लिए सोलर पंप की सुविधा, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग की योजनाओं का लाभ मिल पाएगा. कृषि विभाग से अब किसानों को विभिन्न फसलों के बीज वितरण के साथ-साथ मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है. किसानों के खेत में ड्रिप लाइन बिछाई जा रही है और पॉली हाउस बनाया गया है.


पट्टा देने ऐसे हो रहा सर्वे
गांवों का सर्वे करने के लिए जिला प्रशासन की टीम सबसे पहले गांव की जीपीएस लोकेशन आईआईटी रुड़की को भेजती है. आईआईटी की टीम सैटेलाइट के माध्यम से बड़े एरिया का मैप बनाकर भेजती है, फिर यहां राजस्व विभाग द्वारा मैप में गांव और खेत की बाउंड्री का निर्धारण किया जाता है. फिर सॉफ्टवेयर के माध्यम से खेत को लोकेट करके एरिया निकाला जाता है. इसके बाद दावा-आपत्ति की प्रक्रिया के बाद पट्टे का निर्धारण होता है.