वन भूमि के सर्वे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने निशाना साधा है. उन्होंने मनमानी करने और वन पंचायत एक्ट में एक तरफा कुछ छेड़-छाड़ करने का प्रयास करने का आरोप लगाया है. इतना ही नहीं रावत ने पंचायतों को भी पड़पने का आरोप लगाया है.
रावत ने कहा कि ‘माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रहा वन भूमि का सर्वे और उस पर अतिक्रमण के नाम पर की जा रही बेदखली की आशंका एक राज्य के सम्मुख एक बड़ी समस्या खड़ी कर देगा. उत्तराखंड में अविभाजित उत्तर प्रदेश विधानसभा द्वारा पारित एक कानून के परिणाम स्वरूप हमारे खेतों की मेड़ें जिसे हम भीड़े कहते हैं, हमारे गांव के गौचर पनघट सब प्रोटेक्टिव फॉरेस्ट में आ गए हैं. वन विभाग इस एक्ट की आड़ में हमारी वन पंचायतों को भी हड़पने का प्रयास कर रहा है.’
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रावत ने आगे कहा कि ‘राज्य के वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व को शायद पूरी जानकारी नहीं है, उसका फायदा उठाकर वन विभाग, वन पंचायतों के साथ अपनी मनमानी करने और वन पंचायत एक्ट में एक तरफा कुछ छेड़-छाड़ करने का प्रयास कर रहा है. ऋषिकेश में चर्चित भूमि पर राज्य सरकारों की सहमति से लोग बसे हैं उन्हें वन भूमि के अतिक्रमणकारी के रूप में चिन्हित करना सर्वथा अन्यायपूर्ण है. राज्य को माननीय सुप्रीम कोर्ट के सामने विशेष अनुमति याचिका दायर कर अपना पक्ष रखना चाहिए और उत्तराखंड के लिए इस प्रसंग में छूट हासिल करनी चाहिए.’
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