Hariyali Amavasya 2025: हरियाली अमावस्या आज है. सावन महीने की वह पवित्र तिथि जब प्रकृति, पितृ और परमात्मा, तीनों की आराधना एक साथ होती है. इस अवसर पर पीपल, नीम, आंवला और तुलसी जैसे पवित्र वृक्षों पर रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा निभाई जाती है.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पेड़ों को रक्षा सूत्र क्यों बांधा जाता है और इसका हमें क्या फल मिलता है? दरअसल, यह परंपरा केवल एक धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि गहराई से जुड़ी हुई है, हिंदू धर्म की आस्था, प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और आत्मिक संतुलन से.
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Hariyali Amavasya 2025
पीपल में देवताओं का वास (Hariyali Amavasya 2025)
शास्त्रों में कहा गया है कि पीपल में त्रिदेव, ब्रह्मा, विष्णु और शिव, का वास होता है. हरियाली अमावस्या के दिन पीपल को रक्षा सूत्र बांधने से पितृदोष से मुक्ति और कुल की शांति मानी जाती है. मान्यता है कि इससे वंश वृद्धि में आ रही बाधा भी दूर होती है.
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नीम में रोग हरने वाली देवी (Hariyali Amavasya 2025)
नीम को आयुर्वेद में अमृत माना गया है और धर्म में इसे ‘शीतला देवी’ का रूप. इसे रक्षा सूत्र बांधने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर पाती.
आंवला लक्ष्मी का प्रतीक (Hariyali Amavasya 2025)
आंवला वृक्ष को माता लक्ष्मी का रूप माना गया है. हरियाली अमावस्या के दिन आंवला को रक्षा सूत्र बांधकर जल अर्पित करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है और दरिद्रता का नाश होता है.
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तुलसी में होता है भगवती का रूप (Hariyali Amavasya 2025)
तुलसी को विष्णुप्रिय माना गया है. तुलसी पर रक्षा सूत्र बांधने से वैवाहिक जीवन में सौहार्द बना रहता है और घर में लक्ष्मी का वास होता है.
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