ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर करारा प्रहार किया, जिससे बौखलाए पाकिस्तान ने पंजाब के कई इलाकों में जवाबी हमले की कोशिश की. लेकिन भारतीय सेना ने न केवल इन हमलों को नाकाम किया, बल्कि पाकिस्तान के तीन एयर डिफेंस सिस्टम को ध्वस्त कर दिया. खास तौर पर, लाहौर में चीन निर्मित HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाने के लिए भारत ने इजरायल के हार्पी ड्रोन (Harpy Dron) का इस्तेमाल किया. यह ड्रोन खूबियों के लिए जाना जाता है, जो इसे निगरानी और हमले के लिए खास बनाता है.

भंवरे की तरह मंडराता, बिजली की तरह वार करता

इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) द्वारा विकसित Harpy Dron एक मानवरहित हवाई वाहन (UAV) है, जिसे 2001 में पहली बार तैयार किया गया था. यह एक लोइटरिंग मुनिशन है, जिसे ‘कामिकाजे ड्रोन’ भी कहा जाता है. यह ड्रोन नौ घंटे तक हवा में रह सकता है, 200 किलोमीटर की रेंज में लक्ष्य भेद सकता है, और 185 किमी/घंटा की रफ्तार से 500 किमी तक की दूरी तय कर सकता है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह सैनिकों को जोखिम में डाले बिना दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर सकता है.

स्वचालित लक्ष्य खोज और हमला

हार्पी ड्रोन स्वचालित रूप से लक्ष्य की खोज, पहचान और ट्रैकिंग करता है. इसमें लगे इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल, इन्फ्रारेड, फॉरवर्ड-लुकिंग इन्फ्रारेड (FLIR) सेंसर और रंगीन CCD कैमरे इसे रात-दिन, हर मौसम में लक्ष्य को सटीकता से पकड़ने में सक्षम बनाते हैं. एंटी-रडार होमिंग फीचर की मदद से यह दुश्मन के रडार सिस्टम को आसानी से निशाना बना लेता है. दो-तरफा डेटा लिंक के जरिए ऑपरेटर को रियल-टाइम जानकारी मिलती है, जिससे वह युद्ध के बदलते हालात में हमले को रोक या ड्रोन को वापस बुला सकता है.

32 किलो विस्फोटक की ताकत

हार्पी ड्रोन 32 किलोग्राम तक विस्फोटक ले जा सकता है. इसे सीलबंद कैनिस्टर से लॉन्च किया जाता है, जो इसे जमीन या नौसैनिक प्लेटफॉर्म से आसानी से तैनात करने में सक्षम बनाता है. यह ड्रोन निगरानी मोड से हमला मोड में तुरंत स्विच कर सकता है, जिससे यह युद्धक्षेत्र में अत्यंत प्रभावी है.