Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव के मतदान से चंद दिन पहले कांग्रेस (Congress) ने एक बार फिर से बागी नेताओं (rebel leaders) के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। निर्दलीय चुनाव लड़ रहे दो और नेताओं को पार्टी से बाहर कर दिया है। पार्टी ने उचाना कलां से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे वीरेंद्र गोग्रिया और बाढड़ा विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार सोमवीर घसोला को पार्टी से 6 साल के लिए निलंबित कर दिया है।
वहीं इससे पहले शुक्रवार को कांग्रेस ने हरियाणा में अपने 13 नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधि के आरोप में निष्कासित किया था। इस तरह तीन दिन में 15 नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा चुकी है।
दरअसल, इन नेताओं ने भी राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी द्वारा आधिकारिक तौर पर चुने गए उम्मीदवार के खिलाफ बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया था। कांग्रेस ने कहा कि पार्टी में अनुशासनहीनता पर अंकुश लगाने के लिए उन्हें तत्काल प्रभाव से छह साल के लिए निष्कासित किया जा रहा है।
इन नेताओं को भी पार्टी से निकाला
हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदय भान द्वारा जारी पार्टी आदेश के अनुसार, गुहला अनुसूचित जाति (एससी) सुरक्षित सीट से नरेश धांडे, जींद से प्रदीप गिल, पुंडरी से सज्जन सिंह ढुल और सुनीता बट्टन, नीलोखेड़ी-एससी (सुरक्षित) से राजीव मामूराम गोंदर और दयाल सिंह सिरोही, पानीपत ग्रामीण से विजय जैन, उचाना कलां से दिलबाग सांडिल, दादरी से अजीत फोगाट, भिवानी से अभिजीत सिंह, बवानी खेड़ा-एससी (सुरक्षित) से सतबीर रतेरा, पृथला से नीटू मान और कलायत से अनीता ढुल बड़सीकरी को निष्कासित कर दिया गया था।
चित्रा सरवारा पर भी हो चुकी है कार्रवाई
अंबाला सिटी से कांग्रेस के उम्मीदवार एवं पूर्व मंत्री निर्मल सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक जसबीर मलौर ने भी अपना नाम वापस ले लिया है। हालांकि निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सरवारा अंबाला कैंट सीट से चुनाव लड़ रही हैं। पार्टी बागी नेता सरवारा के खिलाफ पहले ही कार्रवाई कर चुकी है।
हरियाणा में 5 अक्टूबर को मतदान और 8 को मतगणना
बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव 5 अक्टूबर को होगा। वहीं, मतगणना 8 अक्टूबर को होगी। वहीं मतगणना 8 अक्टूबर को होगी। इससे पहले यह तारीख 1 और 4 अक्टूबर थी लेकिन चुनाव आयोग ने इसमें बदलाव किया है। आयोग ने इसके पीछे की वजह बताते हुए सफाई दी कि बिश्नोई समुदाय के मताधिकार और परंपराओं दोनों का सम्मान करने के लिए यह फैसला लिया गया है। बिश्नोई समाज ने आसोज अमावस्या उत्सव में भाग लेने की सदियों पुरानी प्रथा को कायम रखा है। ये उस दिन अपने गुरु जम्बेश्वर की स्मृति में उत्सव मनाते हैं।
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