नई दिल्ली . दिल्ली जल मंत्री आतिशी ने कहा हिमाचल से आने वाले पानी पर भी हरियाणा सरकार का पहरा है. अगर हरियाणा सरकार दिल्ली के हिस्से का पानी नहीं छोड़ती है तो हिमाचल से आने वाले पानी से भी जलापूर्ति के लिए पूरा नहीं किया जा सकेगा.

ऐसा लगता है दिल्लीवालों के खिलाफ हरियाणा सरकार साजिश कर रही है. सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में पानी की व्यवस्था करने के लिए रोज सुनवाई कर रहा है. आगामी सोमवार को फिर सुनवाई हो रही है, दूसरी तरफ पानी रोककर हरियाणा सरकार जल संकट बढ़ा रही है. उन्होंने कहा कि अगली सुनवाई में हम सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा सरकार द्वारा पानी रोकने का मुद्दा रखेंगे.

मांग पूरी करने के लिए भूजल का प्रयोग बढ़ाया दिल्ली सरकार ने लोगों से सीमित मात्रा में पानी प्रयोग करने और बचाने की अपील की है. इसके साथ ही मांग के बराबर आपूर्ति करने के लिए दिल्ली में लगाए गए ट्यूबवेल को चलाने का समय लगभग दोगुना कर दिया है. पहले 4 से 6 घंटे ही ट्यूबवेल का प्रयोग होता था, अब उसे 8 से 10 घंटे तक चलाया जा रहा है. दिल्ली में कुल पानी की मांग में सिर्फ 13.5 फीसदी अन्य स्त्रत्तेतो से पूरा किया जाता है, बाकी यमुना नदी पर निर्भर है.

सर्वदलीय बैठक बुलाए भाजपा

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आरोप लगाया है कि पानी के संकट पर जनता को आतिशी गुमराह कर रही हैं. यह समझ से परे है कि वो अपनी नाकामी के लिए हरियाणा सरकार पर आरोप लगा रही हैं. दिल्ली में पानी की समस्या की असल वजह वजीराबाद, सोनिया विहार, ओखला वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के जल स्टोरेज तालाबों में भरी गाद है. पानी की लाइनों में लीकेज के चलते पानी की बर्बादी हो रही है. शुद्ध जल का 53 फीसदी हिस्सा चोरी या लीकेज होता है. इसलिए जल मंत्री को अविलंब सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए.

संयंत्रों से आपूर्ति कम हो जाएगी

आतिशी ने कहा कि दिल्ली अपनी पानी की मांग को पूरा करने के लिए के लिए यमुना नदी पर निर्भर है. यमुना नदी में वही पानी आता है, जो हरियाणा से छोड़ा जाता है. यमुना में आने वाला पानी वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला में बने जल संयंत्रों को मिलता है. जब पीछे से यमुना में पानी रोक दिया जाएगा तो जलशोधन संयंत्रों से आपूर्ति कम हो जाएगी. दिल्ली में पानी की मांग पूरा करने के लिए जलशोधन संयंत्रों से कुल 946 एमजीडी पानी की आपूर्ति होती है.