हरियाणा में एडीजीपी आत्महत्या केस में पुलिस ने अब की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। चंड़ीगढ़ पुलिस ने सूबे के डीजीपी शत्रुजीत कपूर, पंचकूला कमिश्नर, अंबाला आईजी, रोहतक एसपी समेत 15 आला कमान अधिकारियों के नाम दर्ज किए हैं। पुलिस ने गुरुवार देर रात मामला दर्ज किया था। अब सभी आरोपी अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। चंडीगढ़ पुलिस की ओर से सुसाइड नोट को आधार बनाते हुए सेक्टर-11 थाने में 156 नंबर FIR भारत न्याय संहिता (BNS) की धारा 108, 3(5) और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(r) के तहत दर्ज की गई है।
पुलिस ने हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर, एडीजीपी संदीप खिरवार, एडीजीपी अमिताभ ढिल्लों, एडीजीपी लैंड ऑर्डर संजय कुमार, एडीजीपी माटा रवि किरण ,पंचकूला पुलिस आयुक्त सिवास कविराज, अंबाला रेंज के आईजी पंकज नैन, रोहतक एसपी नरेंद्र बिजरानिया आईपीएस कल रामचंद्रन को मामले में नामजद किया है। इसके अलावा केस में कुछ पूर्व नौकरशाह भी हैं। इसमें पूर्व डीजीपी मनोज यादव ,पूर्व डीजीपी पीके अग्रवाल, पूर्व मुख्य सचिव टीवीएस एन प्रसाद, पूर्व एसीएस राजीव अरोड़ा शामिल हैं।
हरियाणा के इतिहास में यह पहली बार है, जब किसी मामले में चीफ सेक्रेटरी और DGP सहित 14 पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर मामला दर्ज हुआ है। चंडीगढ़ पुलिस ने जांच के लिए IG पुष्पेंद्र कुमार की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय SIT बना दी है।
IAS पत्नी ने FIR पर जताया विरोध
हालांकि, IPS पूरन की IAS पत्नी अमनीत पी. कुमार ने इस FIR पर एतराज जताया है। उन्होंने चंडीगढ़ पुलिस को एप्लिकेशन देकर कहा कि FIR में आरोपी अफसरों के नाम अलग से कॉलम में नहीं लिखे गए हैं। FIR को फिक्स फॉर्मेट में लिखा जाए। इसको लेकर उनकी चंडीगढ़ की SSP कंवरदीप कौर से हॉट टॉक भी हुई है। परिवार के राजी न होने से चौथे दिन भी पूरन का पोस्टमॉर्टम नहीं हो पाया है। वहीं, सरकार ने पूरन कुमार के परिवार की सुरक्षा बढ़ा दी है। उनके घर के बाहर अस्थायी पुलिस बूथ लगा दिया गया है। परिवार आज सेक्टर 24 स्थित सरकारी आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा।
मंत्री पंवार की ड्यूटी लगी, परिवार DGP को हटाने पर अड़ा
सरकार ने पूरे मामले को हैंडल करने के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पंवार की ड्यूटी लगाई है। पंवार ने 2 बार IG की पत्नी से मुलाकात कर पोस्टमॉर्टम और अंतिम संस्कार के लिए राजी करने की कोशिश की लेकिन अमनीत ने DGP को पद से हटाने और रोहतक SP को गिरफ्तार करने तक इससे इनकार कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक DGP शत्रुजीत कपूर का जाना तय हो गया है। इनकी जगह ADGP आलोक मित्तल को लगाया जा सकता है। बताया गया है कि आलोक देर रात सीएम नायब सैनी के साथ मीटिंग करने पहुंचे थे। इसके बाद फैसला लिया गया। सरकार ने मित्तल की प्रमोशन फाइल मंजूर की। अब आलोक मित्तल DGP रैंक के IPS हो गए हैं। ओपी सिंह की जल्द रिटायरमेंट को देखते हुए ये फैसला लिया गया है। आलोक मित्तल के साथ IPS अशिंद्र सिंह चावला को भी DG रैंक मिली है। उधर, यह भी जानकारी सामने आई है कि रोहतक SP नरेंद्र बिजारणिया पर भी गाज गिर सकती है।
केजरीवाल ने उठाई सख्त सजा की मांग
आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मामले में सख्त सजा की मांग की है। केजरीवाल ने एक्स प्लेटफॉर्म पर लिखा कि हरियाणा के IPS अफसर पूरन कुमार को अपनी जाति को लेकर इतना उत्पीड़न झेलना पड़ा कि उन्होंने आत्महत्या कर ली। दोषी लोगों को जल्द से जल्द सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट घटना का जिक्र करते हुए लिखा कि देश के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंका गया तो इनके ट्रोल सोशल मीडिया पर दलितों को बेइज्जत कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने कहा- आईपीएस की आत्महत्या सामाजिक ज़हर का प्रतीक
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “हरियाणा के IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार जी की आत्महत्या उस गहराते सामाजिक ज़हर का प्रतीक है, जो जाति के नाम पर इंसानियत को कुचल रहा है. जब एक IPS अधिकारी को उसकी जाति के कारण अपमान और अत्याचार सहने पड़ें – तो सोचिए, आम दलित नागरिक किन हालात में जी रहा होगा.”
उन्होंने आगे कहा कि रायबरेली में हरिओम वाल्मीकि की हत्या, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का अपमान और अब पूरन जी की मृत्यु – ये घटनाएं बताती हैं कि वंचित वर्ग के ख़िलाफ़ अन्याय अपनी चरम सीमा पर है.
सांसद प्रियंका गांधी ने भी किया ट्वीट
मामले में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने भी ट्वीव किया है. उन्होंने कहा कि जातीय प्रताड़ना से परेशान होकर हरियाणा के IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या से पूरा देश स्तब्ध है. देश भर में दलितों के खिलाफ जिस तरह अन्याय,अत्याचार और हिंसा का सिलसिला चल रहा है, वह भयावह है. रायबरेली का जिक्र करते हुए कहा कि पहले रायबरेली में हरिओम वाल्मीकि की हत्या, फिर मुख्य न्यायाधीश का अपमान और अब एक वरिष्ठ अधिकारी की आत्महत्या यह साबित करती है कि भाजपा राज दलितों के लिए अभिशाप बन गया है. कहा कि चाहे कोई आम नागरिक हो या ऊंचे पद पर हो, अगर वह दलित समाज से है तो अन्याय और अमानवीयता उसका पीछा नहीं छोड़ते. जब ऊंचे ओहदे पर बैठे दलितों का यह हाल है तो सोचिए आम दलित समाज किन हालात में जी रहा होगा.
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