शिवम मिश्रा,रायपुर। हसदेव अरण्य बचाने के लिए आदिवासी बुधवार को 300 किमी की पदयात्रा कर रायपुर पहुंचे. आदिवासियों से स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने मुलाकात की. टीएस सिंहदेव ने कहा कि हसदेव अरण्य को बचाने का आप लोगों का संघर्ष एक महत्त्वपूर्ण संघर्ष है. आज पर्यावरणीय चिंताओं के परिदृश्य में कोयला खनन अत्यंत घातक है. यह आवश्यकता है कि अक्षय ऊर्जा की ओर हम आगे बढ़े. उन्होंने हसदेव अरण्य के संबंध में स्पष्ट रूप से कहा कि यह माइनिंग के लिए नो-गो क्षेत्र घोषित किया गया था. नो-गो की इस अवधारणा पर अमल होना चाहिए.

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स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि सोच समझकर कारगर कदम उठाएंगे. नैसर्गिंक हित, जायज हित संरक्षित हो. मैं भी सीएम को पत्र भेजूंगा. मैं भी इस पर सहमत हूं कि नो-गो एरिया डिक्लेयर हो गया. उसके आगे जाते हैं, तो मुझे कहने में यह संकोच नहीं कि उस पर मेरा भी व्यक्तिगत विरोध है. जो बात हो गई, तो पहले तय कर दिया गया, आगे जो लकीर खींच गई, तो लक्ष्मण रेखा हो गई.

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लक्ष्मण रेखा पार करने से क्या होता है, यह रामायण की कहानी में हमने देखा है, तो सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नो गो एरिया की जो लक्ष्मण रेखा है, वह पार ना हो और सीता हरण जैसी स्थिति ना बने. जो उस लाइन को पार करवाएगा वह कौन होगा, दश सिर वाला रावण. अभी सरकार के पास पूरा अवसर है और उसकी मानसिकता भी यही होनी चाहिए कि सरकार राम रूपी काम करें. हितों की रक्षा करें, आपके साथ रहे. जायजा मांगों को पूरा करे.

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