कोरबा। हसदेव अरण्य क्षेत्र के ग्राम मदनपुर में नव निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों का सम्मान एवं ग्रामसभा सशक्तीकरण सम्मलेन का आयोजन “हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति” के द्वारा आयोजित किया गया. सम्मलेन में 25 गाँव के पंचायतों के नव निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल हुए. सम्मलेन में पंचायतों के सशक्तिकरण के साथ हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोल खनन परियोजनाओं के खिलाफ ग्रामसभाओं के आन्दोलन को और अधिक व्यापक करने पर चर्चा हुई.
सम्मलेन में उपस्थित प्रतिनिधियों ने संकल्प लिया कि वो सम्पूर्ण हसदेव अरण्य क्षेत्र कि समृद्ध वन संपदा, जैव विवधता, ग्रामीणों की आजीविका व संस्कृति और पर्यावरण को बचाने ग्रामसभाओं के संकल्पों का पूर्ण सम्मान करते हुए उन्हें लागू करवाने का कार्य करेंगे. संविधान की पांचवी अनुसूची, संसद द्वारा बनाए पेसा और वनाधिकार मान्यता कानून के प्रावधानों का पालन कर आदिवासियों के जल – जंगल जमीन कि रक्षा और उन पर समुदाय के हकों को मान्यता दिलाने कार्य करेंगे. राज्य की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सभी नागरिकों को प्राप्त हो इसके लिए भी प्रयास करने का संकल्प लिया.
सम्मलेन की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ समाजवादी किसान नेता आनंद मिश्रा ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से हम धरती पर जीवन के अस्तित्व को ही खत्म करने पर तुले हुए हैं. हमें यदि जीवन को बचाना हैं तो विकास और प्रकृति के बीच सामंजस्य बनाए रखना होगा. उन्होंने सवाल किया कि हसदेव अरण्य जैसे जंगलो को उजाड़कर हम कौन सा विकास करने वाले हैं. बड़ी दुखद स्थिति हैं बदलाव की आशा के साथ राज्य में बनी कांग्रेस सरकार भी अडानी जैसे कार्पोरेट की लूट को बढाने कार्य कर रही हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी पंचायते अपनी आवश्यकता के अनुरूप पंचवर्षीय योजनाओं को बनाए.
छत्तीसगढ़ किसान सभा के कामरेड नंद कुमार कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं मानते हैं कि पूरे देश में बिजली का उत्पादन सरप्लस हैं इसलिए सरकार बिजली खपत के नए नए तरीके ढूंढ़ रही हैं यह प्रुवृति पर्यावरण के लिए घातक हैं. उन्होंने कहा कि हसदेव के जंगल सिर्फ स्थानीय आदिवासियों कि आजीविका कि पूर्ति नहीं करते, बल्कि छत्तीसगढ़ के लिए आक्सीजन और बारिश के लिए अति आवश्यक हैं .
छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा, विजन 2030 डाक्यूमेंट के अनुसार वर्ष 2030 तक देश में कोयले कि जरूरत आवंटित कोल ब्लॉको से ही संभव हैं . CEA ने भी वर्ष 2019 के सर्वे (EPS) में कहा हैं कि वर्ष 2022 – 27 में बिजली कि खपत कि बढोतरी दर में गिरावट आएगी. आंकड़े से स्पष्ट हैं कि नए कोल ब्लॉक कि आवश्यकता नही हैं, फिर भी मोदी सरकार अडानी जैसे कार्पोरेट समूहों के दवाब में नए कोल ब्लॉको का आवंटन कर रही हैं. छत्तीसगढ़ सरकार नए कोल ब्लॉको को शुरू करने का विरोध करने के बजाए पूर्ववत रमन सरकार कि भांति इन कार्पोरेट समूहों के एजेंट की भूमिका में हैं.
बता दे कि हसदेव अरण्य कोरबा सरगुजा और सूरजपुर कि सीमओं में हसदेव नदी का महत्वपूर्ण केचमेंट क्षेत्र में 20 से अधिक कोल ब्लॉक हैं चिन्हांकित हैं. वर्ष 2009 में केन्द्रीय वन मंत्रालय ने इसे नो गो क्षेत्र घोषित कर खनन पर प्रतिबन्ध लगा दिया था. वर्ष 2015 से मोदी सरकार ने यहाँ कोल ब्लॉक को विभिन्न राज्य सरकारो को आवंटित किया हैं, जिन्हें MDO के माध्यम से अडानी जैसे निजी समूह को दिया गया हैं. हसदेव अरण्य के ग्रामीण लगातार इन खनन परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं और कई बार ग्रामसभा ने भी खनन के खिलाफ संकल्प पारित कर केंद्र और राज्य सरकार को भेजे हैं.