रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरगुजा अँचल में हसदेव अरण्य को बचाने बीते 54 दिनों से आदिवासियों का धरना चल रहा है. स्थानीय आदिवासी वहाँ पर अडानी को आबंटित कोयला खदान का विरोध कर रहे हैं. वे वहाँ पर किसी भी कीमत पर खदान नहीं चाहते हैं. लेकिन सरकार की ओर अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई कि आंदोलन को खत्म कराया जा सके.
अब इसी मामले में सगुजा से विधायक और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि अगर आदिवासी चाहेंगे तो मैं जरूर उनके आंदोलन में पहुँचूँगा. स्थानीय आदिवासी वहाँ पर अपना जमीन नहीं देना चाहते थे, क्योंकि पहले कोल खदान के कुछ मामले में स्थानीय रहवासियों को उचित मुआवजा नहीं मिला था. आदिवासी अपनी जायज मांगों के साथ आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन मैं वहाँ पर इसलिए नहीं जा सकता क्योंकि उन्हें ये न लगे कि मैं क्यों बिन बुलाए आ गया ? मैं तो हमेशा अपने क्षेत्र की जनता के साथ हूँ. वे जहाँ चाहेंगे, जिस रूप में चाहेंगे मैं उनके साथ खड़ा रहूँगा.
आपको बता दे कि सरगुजा, कोरबा, सूरजपुर के जिलो को जोड़ने वाला हसदेव अरण्य क्षेत्र में पहले कई कोल खदानें संचालित है. वहाँ पर अडानी का एक कोल खदान पहले संचालित है. लेकिन वहाँ एक और कोल खदान अडानी को आबंटित हुआ है. इस इलाके में लोग अब और कोल खदान नहीं चाहते हैं. क्योंकि गाँव वालों का मानना खदान खुलने आदिवासी संस्कृति पूरी तरह नस्ट हो जाएगी. लिहाजा गाँव वाले बीते 54 दिनों से सरगुजा जिले के फतेहपुर गाँव में धरना दे रहे हैं. 20 गाँव के लोगों ने ग्राम सभा कर कोल खदान नहीं खोलने का निर्णय लिया है.