जयपुर। राजस्थान अपने वन्य अभयारण्यों के लिए काफी मशहूर है. साथ ही राजस्थान के आस-पास कई ऐसे शहर और गाँव हैं, जहाँ बहुत ही सुंदर-सुदर किले, महल, छतरियां, मंदिर हैं, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं. इन्हीं में से एक राजस्थान के धौलपुर की चंबल नदी है, जिसमें कई तरह के जलीय जीव हैं.

सर्दियों का मौसम आते ही चंबल नदी में डॉल्फिन लोगों को अपनी झलक दिखाने लग गया है. चंबल नदी में परिवार सहित डॉल्फिन की अठखेलियां पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं. हां, बस आपकी किस्मत अच्छी होनी चाहिए.जिस दिशा में डॉल्फिन उछले, अगर आपकी नजर भी उसी दिशा में हुई तो आपकी मजा ही आ जाएगा.

साफ और शुद्ध चंबल का पानी

चंबल नदी डॉल्फिन के साथ-साथ घड़ियाल, मगरमच्छ, कछुए और विभिन्न प्रकार के जलचरों के लिए जानी जाती है. चंबल का पानी मीठा, साफ और शुद्ध होने के कारण यहां पिछले कुछ सालों में डॉल्फिन्स का कुनबा बढ़ा है. डॉल्फिन प्रदूषित पानी में कभी नहीं रहती. पानी में प्रदूषण बढ़ते ही डॉल्फिन वह क्षेत्र छोड़ देती है. चंबल में ऐसा नहीं हुआ. यही वजह है कि बीते कुछ सालों में उनकी संख्या इतनी बढ़ गई. और अगर ऐसे ही उनकी संख्या बढ़ती गई तो जल्द ही गंगा से ज्यादा यहां डॉल्फिन पाईं जाने लगेंगी.

ये है सफारी का शुल्क

चंबल सफारी में एक बार में 6 सवारी बैठ सकते हैं. इसकी फीस 1500 रुपए है. इसका एक चक्कर 3 किलोमीटर का होता है जिसमें करीबन 45 मिनट का समय लगता है. चंबल सफारी हर रोज सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक चालू रहती है. यहां पर रोजाना पर्यटकों का आना शुरू है.

डॉल्फिन के बारे में कुछ रोचक बातें

डॉल्फिन सामाजिक स्तनधारी प्राणी है, और इसे अकेले रहना पसंद नहीं है. ये 10 से 12 के समूह में रहती हैं. डॉल्फिन सांस लेने के लिए हर 15 मिनट में सतह पर आती है. मादा डॉल्फिन नर से बड़ी होती है. इनकी लगभग आयु 25 साल होती है. डॉल्फिन एक बार में एक ही बच्चा देती है. प्रसव के कुछ दिन पहले गर्भवती डॉल्फिन की देखभाल के लिए पांच से छह मादा डॉल्फिन उसके आस-पास रहती हैं.

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