एक कहावत है कि ‘जीवन 40 की उम्र में शुरू होता है’. हालांकि इस उम्र से ही शरीर थकना भी शुरू कर देता है, जो जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की शुरुआत का इशारा भी है. जैसे उच्च रक्तचाप, डायबिटीज आदि. लेकिन इसी के साथ कान से जुड़ी समस्याएं भी होती है, जो मुख्य रूप से मस्तिष्क तक ध्वनि संकेत भेजने वाली नसों के खराब होने के कारण होता है. ऐसे में जरूरत होती है कुछ जरूरी कदम उठाने की.
जानिए क्यों कमजोर होती है सुनने की क्षमता:
अब आप सोच रहे होंगे कि उम्र बढ़ने का कानों से क्या रिश्ता? हालांकि बहुत से लोग बुढ़ापे में भी अच्छा सुन लेते हैं. ये तमाम सवाल तो हैं, पर कई बार पचास की उम्र पार करने के बाद सुनने की क्षमता में थोड़ी कमी आ जाती है और इसकी वजह है कान के अंदर मौजूद छोटे-छोटे हेयर सेल्स यानी बाल कोशिकाएं. बढ़ती के उम्र के साथ प्राकृतिक रूप से इनको नुकसान पहुंचने लगता है. दरअसल, इन हेयर सेल्स का मुख्य काम ध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में बदलकर मस्तिष्क तक पहुंचाना होता है, ताकि हम आवाज को सुन और समझ सकें. ऐसे में जब एक बार ये कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं, तो दोबारा ये नहीं बन सकतीं. इस वजह से हमें सुनने में समस्या होने लगती है. इसके अलावा और भी कई कारण हो सकते हैं, जिससे हमें सुनने में परेशानी हो सकती है, जैसे लंबे समय तक तेज आवाज में रहना, तेज आवाज में म्यूजिक सुनना, शोरगुलवाले स्थानों पर ज्यादा समय बिताना, पहले से परिवार में सुनने की समस्या अगर है तो, ईयरवैक्स (कान की मैल) का जमा होना और किडनी की समस्याएं, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर आदि होना.
दिनचर्या में करें बदलाव
वैसे तो उम्र बढ़ने के साथ सुनने की क्षमता कमजोर होना एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन कुछ एहतियात बरत कर इस प्रक्रिया को धीमा जरूर किया जा सकता है.
● सबसे पहले खासकर 50 की उम्र के बाद आपको नियमित रूप से अपने कान की जांच करवानी चाहिए, जिससे किसी भी तरह की कान की समस्या का सही समय से पता चल सके.
● अधिक शोरगुलवाले स्थानों पर रहने से बचना चाहिए.
● हेडफोन या ईयरफोन का इस्तेमाल करते वक्त हमेशा आवाज का स्तर मध्यम रखें. साथ ही अधिक समय तक हेडफोन को कानों में लगाकर नहीं रखना चाहिए.
● डॉक्टर की सलाह पर ईयरवैक्स को नियमित रूप से साफ कराते रहें. लेकिन ध्यान रहे इसे बहुत अंदर तक न साफ करें.
● अधिक शोरगुलवाले जगहों पर रहना मजबूरी है, तो कानों की सुरक्षा के लिए ईयर प्लग्स का इस्तेमाल करें.
● कान की बेहतर सेहत के लिए विटामिन्स व मिनरल्स से भरपूर आहार जैसे कि गाजर, पालक, बादाम और बीन्स की मात्रा को बढ़ाना चाहिए.
क्या करने से मिलेगी मदद? यहां जानिए:
योग और प्राणायाम भी कानों की सेहत को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं, क्योंकि ये शरीर को स्वस्थ रखने के साथ तंत्रिका तंत्र और रक्त संचार को भी सही रखते हैं, जो कानों की कोशिकाओं के लिए जरूरी है. इसके लिए आप कर्नापीड़ासन (ईयर प्रेशर पोज), शवासन, अनुलोम-विलोम और भ्रमरी प्राणायाम जैसे अभ्यासों को आजमा सकते हैं. बढ़ती उम्र के साथ सुनने की क्षमता में समस्या होना एक सामान्य कमजोरी है, जिसे पूरी तरह रोका नहीं जा सकता. फिर भी सही आदतें आजमा कर लंबे समय तक कानों की सेहत को बेहतर बनाए रखा जा सकता है.
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