वास्तुशास्त्र के अनुसार घर की बनावट का हमारे जीवन पर बड़ा असर पड़ता है. खास तौर पर दरवाजों की स्थिति को लेकर कई स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं. इन्हीं में से एक है घर में एक सीध में तीन दरवाजे होना अशुभ माना जाता है. यह केवल परंपरा नहीं, बल्कि इसके पीछे कुछ व्यवहारिक और ऊर्जा से जुड़ी मान्यताएं भी हैं.

क्या है मान्यता?

अगर घर में मुख्य द्वार से लेकर पीछे के दरवाजे तक तीन दरवाजे एक सीध में हों, तो इसे सार्वजनिक ऊर्जा का सीधा बहाव कहा जाता है. वास्तु के अनुसार, इससे घर में आने वाली सकारात्मक ऊर्जा बिना रुके बाहर निकल जाती है. यह आर्थिक हानि, मानसिक तनाव और अस्थिरता को जन्म दे सकता है.

क्यों कहा गया है अशुभ?

इससे घर में शांति और समृद्धि टिक नहीं पाती. परिवार के सदस्य चिड़चिड़े और जल्दबाजी में रहने लगते हैं. लक्ष्मी टिकती नहीं, पैसा आता जरूर है पर जल्दी खर्च भी हो जाता है. कुछ विशेष मामलों में घर में अपनों के बीच वैचारिक टकराव या अलगाव भी देखा गया है.

क्या कहता है वास्तुशास्त्र?

वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की रचना से पॉजिटिव एनर्जी सीधे बाहर निकल जाती है, जिससे घर में असंतुलन पैदा होता है. यह उसी तरह है जैसे किसी कमरे में खिड़की और दरवाजा आमने-सामने हो तो हवा रुकती नहीं है.

समाधान क्या है?

अगर पहले से ऐसी बनावट है, तो उसके लिए कुछ सरल उपाय हैं. तीनों दरवाजों में से बीच के दरवाजे पर हल्का पर्दा लगाएं. मुख्य द्वार और पिछले दरवाजे पर शुभ चिन्ह या वास्तु यंत्र लगाएं. दरवाजों के बीच रुकावट के लिए पौधे, विंड चाइम या लकड़ी की विभाजक (पारदर्शी नहीं) का प्रयोग करें. घर के मध्य भाग में एक पीतल की घंटी या शंख लटकाएं.