नई दिल्ली . दिल्ली हाईकोर्ट ने दवाओं की ऑनलाइन ‘अवैध’ बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के आग्रह वाली याचिकाओं पर बुधवार को केंद्र सरकार से स्थिति रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है.

दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि ई-फार्मेसी को विनियमित करने के लिए नियम बनाने के प्रस्ताव पर मंथन जारी है और कुछ और समय दिए जाने की जरूरत है. इस पर कोर्ट ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 22 मई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें दवाओं की ऑनलाइन अवैध बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से प्रकाशित मसौदा नियमों को चुनौती दी गई है ताकि ‘औषधि एवं प्रसाधन नियमों’ में संशोधन किया जा सके.

मंत्रालय की ओर से अगस्त, 2018 में जारी अधिसूचना को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता एसोसिएशन ‘साउथ केमिस्ट्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन’ ने कहा कि कानून का गंभीर उल्लंघन करके मसौदा नियमों को प्रकाशित किया जा रहा है.

एसोसिएशन ने कहा कि बगैर उचित विनियमन के दवाओं की ऑनलाइन बिक्री से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरे को नजरअंदाज किया जा रहा है.

अब तक कोई ठोस काम नहीं किया गया याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दलील दी कि पांच-छह सालों से नियम बनाए जा रहे, लेकिन अब तक कोई ठोस काम नहीं किया गया है. हाईकोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिनमें दवाओं की ऑनलाइन अवैध बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से प्रकाशित मसौदा नियमों को चुनौती दी गई है ताकि औषधि एवं प्रसाधन नियमों में संशोधन किया जा सके.

कुछ ई-फॉम्रेसी ने इससे पहले कोर्ट से कहा था कि उन्हें दवाओं और चिकित्सकों के बताए गए दवाओं की ऑनलाइन बिक्री करने के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं है, क्योंकि वे इसे उन्हें बेचती नहीं है. इसके बजाय वह ‘फूड डिलीवरी एप स्विगी’ की तरह केवल दवाओं की आपूर्ति करती है.