बिहार- जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाटी आतंकी हमले में देश के 40 जवान शहीद हो गए. पूरा देश इस वक्त गमजदा है. भारत मां के 40 लाल ने देश के लिए कुर्बानी दे दी. जवानों के मां-बाप ने खुशी-खुशी अपने चिराग को सीआरपीएफ में भेजा था. लेकिन गुरुवार के हमले में किसी ने अपने एकलौते चिराग, भाई व पति को खो दिया. लोगों के आंसू अब थमने का नाम नहीं ले रहा.

एक ऐसी ही दर्द भरी कहानी बिहार से निकल कर आ रही है. बूढ़े मां-बाप ने अपने एकलौते बेटे रतन ठाकुर को खो दिया. अधिकारियों ने उनके घर में जब इसकी सूचना दी तो दर्द फूट पड़ा. पिता फूट-फूटकर रोते हुए कहा कि मेरा एक ही बेटा था, जिसे मैंने बहुत लाड प्यार से पाला था. उसके लिए मैंने मजदूरी की. सड़क पर ठेले लगाकर कपड़े और जूस बेचे. आज वो हमें अकेला छोड़कर चला गया. किसके सहारे हम जिंदगी गुजारेंगे.

पिता ने बताया कि हमारी हालत को देखते हुए 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ. बेटे की पहली ज्वाइनिंग गढ़वा में हुई थी. नौकरी लगने के बाद हमारी गरीबी दूर हो रही थी. सुख के दिन लौट रहे थे. सब कुछ सही चल रहा था. लेकिन आतंकियों ने मेरे बेटे को मार दिया. शहीद होने के बाद अब हम लोग किससे सहारे जीएंगे. शहीद रतन की पत्नी राजनंदनी ने बताया कि उनका का दोपहर डेढ़ बजे फोन आया था. उन्होंने कहा कि श्रीनगर जा रहे हैं, पहुंचने के बाद रात में बात करेंगे. लेकिन फोन नहीं आया. उनके फोन का इंतजार करती रही.

पिता निरंजन ने बताया कि रतन की पत्नी गर्भवती है. फोन पर बात होने पर उसने होली पर घर आने की बात कही थी. इसके लिए उन्होंने आवेदन दिया था. उसका एक चार साल का बेटा कृष्ण ठाकुर है. जिसे उसके पिता के शहीद होने की खबर तक नहीं है. उनके बेटा का कहना है कि पापा ड्यूटी पह हैं. वो जब आएंगे तो खिलौना लाएंगे.