लुधियाना. पंजाब स्वास्थ्य विभाग और कृषि विभाग ने संयुक्त रूप से किसानों को अपने खेतों से धान की पराली stubble न जलाने के लिए प्रोत्साहित किया।

इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में किसानों को जागरूक करने के लिए आशा वर्करो को नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया है। इस संबंध में सहायक सिविल सर्जन डॉ. विवेक कटारिया के दिशा-निर्देशों और वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. पूनम गोयल के नेतृत्व में सभी आशा फैसिलिटेटरों और आशा वर्करों को किसानों के घर-घर जाने के लिए कम्युनिटी हैल्थ सैंटर साहनेवाल में प्रशिक्षित किया गया है।

पराली
डॉ. पूनम गोयल ने कहा कि पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं गहरी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि जलाने से निकलने वाला धुआं पर्यावरण को बुरी तरह प्रदूषित करता है जिसके कारण हमारा सांस लेना मुश्किल हो जाता है इससे आंखों में जलन होने लगती है जिससे आंखों की रोशनी पर बुरा असर पड़ता है। अस्थमा के मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वायु प्रदूषण एक्शन ग्रुप की जिला एसोसिएट रुचिका वर्मा ने कहा कि किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। आग से खेत में आसपास खड़े पेड़ भी जल जाते हैं, इन पेड़ों पर रहने वाले पक्षी आग की चपेट में आ जाते हैं और मर जाते हैं।
जब इंसान प्रकृति के साथ ऐसा व्यवहार करता है तो परिणाम भयानक होते हैं। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से हम सल्फर जैसे तत्व भी नष्ट कर देते हैं, जो इस प्राकृतिक सल्फर उर्वरक से हम अपने खेतों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पराली वाले खेतों में जुताई करने से गेहूं की पैदावार बढ़ती है। उन्होंने कहा कि किसानों को बताया जाए कि गेहूं की बिजाई आधुनिक मशीनों जैसे सीडर आदि से करनी चाहिए। जिला मास मीडिया अधिकारी परमिंदर सिंह और डिप्टी मास मीडिया अधिकारी राजिंदर सिंह ने कहा कि खेतों में पराली को आग लगाने का चलन बढ़ गया है जो बहुत खतरनाक है और यह सड़कों पर चलने वाले वाहनों के लिए सड़क दुर्घटना का कारण भी बनता है।